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प्रतापगढ़:कलेक्ट्रेट परिसर में अग्निकांड से बचाव के लिए फायर माक ड्रिल



वेदव्यास त्रिपाठी 

प्रतापगढ़। जिलाधिकारी डा0 नितिन बंसल के निर्देश के क्रम में अपर जिलाधिकारी (वि0/रा0) त्रिभुवन विश्वकर्मा की अध्यक्षता में ग्रीष्म काल में होने वाले अग्निकांड एवं उच्च तापमान के कारण अग्नि से होने वाली घटनाओं से राहत एवं बचाव व आपदा जोखिम न्यूनीकरण एवं अग्निशमन सेवा सप्ताह 2023 के दौरान जिला आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण एवं अग्निशमन विभाग के संयुक्त तत्वाधान में कलेक्ट्रट परिसर में फायर मॉक ड्रिल का आयोजन किया। 


मॉक ड्रिल में आग से बचाव व सावधानियों के विषय में विस्तृत वर्णन के साथ-साथ क्या करें, क्या न करें पम्पलेट का वितरण भी किया गया। इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी ने मॉक ड्रिल में उपस्थित सभी से आवाहन करते हुये कहा कि आगामी ग्रीष्म ऋतु को ध्यान में रखते हुये अग्निकांड से बचाव हेतु दिये गये प्रशिक्षण को अन्य लोगों के साथ भी साझा करें जो आज यहां किन्ही कारणों से उपस्थित नहीं हो पाये है। 


अपर जिलाधिकारी ने इस अवसर पर अग्नि सुरक्षा एवं जीवन रक्षा के उपाय के सम्बन्ध में बताया कि हुक्का पीने के पश्चात् चिलम की आग को पूर्ण रूप से बुझाकर छोड़िये, जलते हुये बचे बीड़ी के टुकड़े को पैर से कुचलकर तथा पूर्ण रूप से बुझाकर फेकिये, खलिहान, तालाब के निकट या अन्य पानी के साधनों के निकट स्थापित कीजिये। 


पुआल व कण्डों के ढेर को पूर्ण रूप से सूख जाने पर निवास स्थान से कम से कम 100 फुट की दूरी पर लगाइये। चूल्हे के ईधन की चिंगारियों व गरम राख को पूर्ण रूप से ठंडा करके फेंकिये। घी व तेल की आग को बालू व मिट्टी से ढककर बुझाइये। गैस चूल्हे को हमेशा गैस सिलेण्डर से ऊपर रखकर खाना बनायें। लीकेज की दशा में हमेशा रेगुलेटर की नाब बन्द कर दें तथा ज्वलनशील सामग्री से दूर रखें। 


रात्रि में सोने से पहले गैस सिलेण्डर की नाब बन्द करना न भूले। फायर बिग्रेड को ग्रामीण क्षेत्र की आगों पर बुलाते समय घटना स्थल का सही पता, पानी का साधन, घटना स्थल से पानी की दूरी की सूचनायें अवश्य सूचित करें ताकि गाड़ियों के भेजने में देरी न हो।उन्होने भूकम्प से बचाव के सम्बन्ध में बताया कि भूकम्प आने की स्थिति में सबसे सुरक्षित स्थान खुले मैदान होते है जहां शरण लेना सुरक्षित होता है।


 भूकम्प के झटके एक के बाद एक क्रमशः आ सकते है, अतः कुछ देर तक बाहर रूकने के बाद ही वापस भवन में प्रवेश करना चाहिये। भूकम्प आने पर भवन से बाहर निकलने के लिये लिफ्ट का प्रयोग न करके सीढ़ियों का प्रयोग करना चाहिये, लिफ्ट कभी भी खराब हो सकती है। बिजली के उपकरणों को बन्द कर दें, अन्यथा बिजली के ट्रांसफार्मर खम्भे आदि के गिरने पर शार्ट सर्किट से आपके भवन में आग लग सकती हैं। 


भवन गिरने पर एलपीजी सिलेण्डर के फटने से विस्फोट होने की सम्भावना रहती है। भवन का निर्माण भूकम्प रोधी होना चाहिये। भूकम्प के दौरान यदि सड़क मार्ग से यात्रा कर रहे हों तो गाड़ी को सड़क के किनारे रोक लेना चाहिये। यदि भूकम्प आने पर भवन के गिरने से मलबे में फंस गये है तो साफ कपड़े या रूमाल से मुॅह को ढक लें, ज्यादा धूल या गन्दगी नाक में न जा पाये तथा धैर्य बनाये रखें, क्योंकि जिला प्रशासन की टीम आपको निकालने का प्रयास कर रही होती है।


 थोड़ी थोड़ी देर पर बचाओ-बचाओ की आवाज दें, जिससे आपके स्थान का पता चल सके। इस अवसर पर मुख्य अग्निशमन अधिकारी प्रभाकर पाण्डेय सहित जिला सूचना विज्ञान अधिकारी, शासकीय अधिवक्ता राजस्व, जिला आपदा विशेषज्ञ, आपदा लिपिक एवं अन्य कर्मचारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।

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