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सत्कारों को जीवित रखो नही तो कहने के हिन्दू रह जाओगे:कथा वाचिका देवी सत्यार्चा



रजनीश / ज्ञान प्रकाश 

करनैलगंज(गोंडा)। मांशाहार, मदिरा व व्यभिचार को त्याग कर अपनी संतति व संस्कारों में जीना सीखो। यदि हिन्दू हो तो अपने संस्कारों, सत्कारों को जीवित रखो नही तो कहने के हिन्दू रह जाओगे। 


यह उदगार कथा वाचिका देवी सत्यार्चा ने नगर के मोहल्ला गाड़ी बाजार में चल रहे श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में व्यक्त किया। इस आयोजन में प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु जुटते है। 


भागवत कथा में देवी सत्यार्चा ने भगवान श्री कृष्णा के द्वारा पूतना का वध और और सकता सुर, अघासुर, बकासुर आदि राक्षसों का वध व माखन चोरी, गोचरण लीला और कालिया नाग का मान मर्दन की कथा के साथ ही गिरिराज पर्वत को धारण करने की कथा को विस्तार से कहा। 


कथा वाचिका ने समाज सुधारक के रूप में कहा कि कथा केवल सुनने से फल नहीं मिलता बल्कि उसके संस्कारों को अपने अंदर उतारने से फल मिलेगा। जब तक माएं यशोदा नहीं बनेंगी तबतक बच्चो में भगवान श्री कृष्ण के संस्कार नहीं आएंगे। माएं कौशल्या बनकर दिखाएं तो उनकी कोख से निश्चित ही प्रभु श्रीराम जैसे संस्कारी बालक पैदा होंगे। 


उन्होंने कहा कि हर हिन्दू के घर में भोजन ऐसा हो जिससे ठाकुर जी का भोग लग सके। जब मांशाहार बनेगे तो कैसे भगवान आएंगे। घर घर में शराब, मांस व व्यभिचार का होना ही रावण व कंस संस्कार का होना है। 


भगवान कहीं आसमान में नही रहते, प्रभु हर व्यक्ति के जीवन, रोम रोम, कणकण में हैं। बस उन्हें श्रद्धा व भक्ति से पाया जा सकता है। भगवान श्रीकृष्ण हों या प्रभु श्रीराम उनको मंदिर में नही मन के मन्दिर में बैठाने की आवश्यकता है। 


यदि हिन्दू हो तो अपने संस्कारों, सत्कारों को जीवित रखो, नही तो कहने भर के हिन्दू रह जाओगे। उन्होंने कहा कि घर घर में मन्दिर मत बनाओ, बल्कि मन्दिर में जाना सीखो। प्रतिदिन समय निकाल कर मंदिर में अवश्य जायँ, आरती में शामिल हों, यही भगवान को पाने का स्थान है।

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