रमेश कुमार मिश्रा
गोण्डा:पुलिस अपने अलग-अलग कारनामों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहती है ऐसा नहीं है कि पुलिस अच्छे काम नहीं करती अच्छे काम भी करती है लेकिन कभी-कभी इतनी भी अच्छी हो जाती है कि बड़े-बड़े मामलों को हल्के में ही निपटा देती है ऐसा ही एक मामला वजीरगंज पुलिस में देखने को मिला है । एक बड़े मामले को वजीरगंज पुलिस ने छोटा करते हुए जो आरोप भी नही दर्शाए गए है उस धारा का प्रयोग कर ऐसे बना दिया है कि जैसे धोती को फाड़ कर रुमाल कर दिया है।
क्या है मामला
वजीरगंज थाना क्षेत्र के करदा गांव निवासिनी राधा देवी पत्नी सुरेश चौहान ने अपने पति पर आरोप लगाते हुए कहा है कि पति ने पीड़िता को 7 माह पहले अपने घर से मार पीट कर भगा दिया है। और अब पीड़िता के जीवित होते हुए विपक्षी दूसरा विवाह करना चाहता है ,और प्रार्थिनी को अपने साथ नही रखता है, और न ही घर में रहने देते है । पीड़िता विपक्षी को दूसरा विवाह करने से रोके जाने और ससुराल में अश्रय दिलाने जाने मांग की है।
क्या बनता है अपराध
भारतीय दंड संहिता की धारा 498A के अनुसार, पति या पति के रिश्तेदार, उसकी पत्नी के साथ क्रूरता करते है तो, इस धारा के तहत मुकदमा पंजीकृत किया जाता है।
क्या दर्ज हुआ मुकदमा
वजीरगंज पुलिस ने आरोपों के आधार पर धारा 323 और 506 के तहत मुकदमा दर्ज किया जबकि 323 मारपीट के अपराध का बोध कराता है वही धारा 506 के तहत कारित अपराध जान से मारने की धमकी है जिसका पीड़िता ने तहरीर में उल्लेख ही नही किया है।
पुलिस ने मुकदमे से निकाल दी आत्मा
पत्नी के साथ ससुरालियों द्वारा किए क्रूरता के लिए 498 a के धारा के तहत मुकदमा दर्ज होना ही आवश्यक है लेकिन यहां पुलिस पीड़िता के साथ अपनी डफली अपना राग अलाप रही है।
बोले थानाध्यक्ष
थानाध्यक्ष प्रमोद सिंह ने इस बावत कहा कि मामले की विवेचना इसी लिए की जाती है जिससे मिलने वाले तथ्यों को जोड़ कर धारा बढ़ाई जा सके, लेकिन थानाध्यक्ष यह भूल रहे है कि विवाहिता ने जो आरोप लगाया है उसे पहले दर्ज किया जाना नितांत आवश्यक है।
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