वासुदेव यादव
अयाेध्या। श्रीरामजन्मभूमि सेवा समिति के पदाधिकारी व सदस्य बुधवार को रंगमहल बैरियर पहुंचे। जहां उन्होंने पूजित कलश श्रीरामलला के अर्चक काे साैंपा। उसके बाद सभी पदाधिकारी और सदस्य श्रीरामजन्मभूमि अधिग्रहीत परिसर में विराजमान रामलला के मंदिर गए। वहां अपरांह आरती में सम्मिलित हुए। रामलला के अर्चक द्वारा पूजित कलश काे गर्भगृह में स्थापित किया गया। तत्पश्चात वेद संहिता और रामार्चा का पाठ हुआ। तदुपरांत श्रीरामलला सरकार काे तसमई, पान, मिठाई, मेवा, फल इत्यादि का भाेग लगाकर भव्य आरती उतारी गई। इस दरम्यान श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट अध्यक्ष महंत नृत्यगाेपाल दास, रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येन्द्र दास, ट्रस्ट महासचिव चंपत राय, ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्रा, निर्माण संयाेजक गाेपाल जी, श्रीमहंत धर्मदास हनुमानगढ़ी, श्रीरामाश्रम पीठाधीश्वर महंत जयराम दास, प्राचीन जगन्नाथ मंदिर महंत राघव दास, महंत सत्येंद्र दास वेदांती, महंत किशाेरी शरण, अच्युत शंकर शुक्ला, संजय शुक्ला समेत अन्य माैजूद रहे। श्रीरामजन्मभूमि सेवा समिति संयुक्त सचिव व श्रीरामाश्रम पीठाधीश्वर महंत जयराम दास वेदांती ने कहा कि 123 वर्ष की परंपरा का निर्वहन करते हुए समिति ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पुजारी को पूजित कलश सौंपा। उसे रामलला के अस्थाई मंदिर में स्थापित कर पूजन-अर्चन किया गया। कलश का नवमी तक पूजन किया जाएगा। दशमी को पुनः यह कलश ट्रस्ट द्वारा समिति को सौंप दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि समिति के द्वारा श्रीराम आश्रम में नौ दिवसीय बाल्मीकि रामायण का पाठ कराया जा रहा है। आने वाले समय में श्रीराम जन्मभूमि सेवा समिति और वृहद कार्यक्रम करेगी। समिति संयोजक अच्युत शंकर शुक्ला ने बताया कि 123 वर्षों से श्रीरामजन्मभूमि सेवा समिति यह कार्यक्रम कर रही है। जाे पहले तीन दिवसीय हाेता था। लेकिन सन 1992 से यह नाै दिवसीय हाे गया। तब से निरंतर नाै दिवसीय कार्यक्रम किया जा रहा है। नवमी के दिन हवन-पूजन के साथ इसका समापन हो जायेगा।
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