मस्जिदों और कब्रिस्तानों में सुबह तक चली दुआएं
अपने गुनाहों की माफी के साथ मगफरत के लिए उठे हाथ
मोहम्मद सुलेमान
गोंडा।मंगलवार की रात जैसे ही आसमान पर चांद नमूदार हुआ,मस्जिदें और कब्रिस्तान इबादत और दुआओं की रोशनी से रोशन हो गया। गुनाहों से मगफरत की रात शब-ए-बरात को नमाज़-ए-मगरिब बाद से लेकर बुधवार की सुबह तक इबादतों का दौर चलता रहा। कब्रिस्तानों में सबने अपने सगे संबंधियों और रिश्तेदारों की कब्र पर जाकर फातिहा पढ़ा और दुआएं मांगी। हर एक कब्रिस्तान की हर एक कब्र को मोमबत्ती से ऐसा रोशन किया गया कि दुनिया से कूच कर गए लोगों की रुहें रोशन हो गई।
मुख्तार-ए-कायनात है जो चाहे मांग ले, मेरा नबी हयात है, जो चाहे मांग ले। इस्लाम अनुयायियों की तारीख में सबसे अहम तारीख में शुमार शब-ए- बरात के मौके पर देश में हर जगह मस्जिदों और कब्रिस्तानों में दुआएं मांगी गई। पवित्र ग्रंथ कुरान की तिलावत के साथ-साथ मस्जिदों में नफली नमाज-ए-भी अदा की गई। पूरे देश के कब्रिस्तानों और मस्जिदों में मंगलवार की रात इबादत का ऐसा मंजर पेश आया जिसने खुदा की बारगाह में मगफरत के लिए उठाए गए हाथों की दुआओं को मानों कबूल करा लिया हो। मौलाना हामिद रजा व मौलाना जाहिद अली नूरी के मुताबिक शब-ए-बरात की रात खुदा के हुक्म से फरिश्ते जमी पर आते हैं और इबादत गुजार लोगों की दुआएं बटोरकर आसमान पर ले जाते हैं। इस रात हर एक की दुआ कबूल होती है और उसकी मगफरत का रास्ता कायम होता है। मौलाना जाहिद अली नूरी कहते हैं कि हर मोमिन का आमालनामा अल्लाह के सामने पेश किया जाता है और पूरे साल के रिज्क का इंतजाम भी होता है।देश की सभी मस्जिदों में पूरी रात इबादत हुई और लोग सजदे में जाकर रो-रो कर अल्लाह से मगफरत की दुआएं मांगी।
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