रजनीश / ज्ञान प्रकाश करनैलगंज(गोंडा)। करनैलगंज क्षेत्र की ग्राम पंचायत फतेहपुर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा सप्तम दिवस समापन में पंडित जयप्रकाश शास्त्री ने भगवान के विवाह पर चर्चा में बताया कि विवाह मनु स्मृति के आधार पर चार प्रकार के होते हैं। धर्म विवाह, गंधर्व विवाह, पिशाच विवाह, राक्षस विवाह, धर्म विवाह, वह जो दोनों पक्षों के माता-पिता और आचार्य के उपस्थिति में वैदिक रीति रिवाज से जो होता है उसे धर्म विवाह कहते हैं गंधर्व विवाह वह है जो वर कन्या ने एक दूसरे को देखकर करते हैं वह गांधर्व विवाह है। पिशाच विवाह वह है जो कन्या के माता-पिता नहीं चाहते हैं कन्या को जबरदस्ती उठाकर विवाह किया जाता है वह पिशाच विवाह के श्रेणी में आता है और राक्षस विवाह वह है जो दूल्हा बना कोई बैठा है और दुल्हन लेकर कोई चला गया, उसे राक्षस विवाह कहते हैं लेकिन समाज अपने वैदिक मान्यताओं को भूल रहा है। विवाह संस्कार 16 संस्कार में से एक है और संस्कार पर विशेष व्याख्यान प्रस्तुत किया। मुख्य यजमान विजय प्रकाश श्रीवास्तव, पराग श्रीवास्तव, विवेक श्रीवास्तव, दुर्गेश सिंह, फतेह बहादुर सिंह, विंदूलता श्रीवास्तव, बबली श्रीवास्तव, शिखा श्रीवास्तव, कामिनी श्रीवास्तव, रोली श्रीवास्तव, वंदना श्रीवास्तव, विनोद कुमार, अक्षय कुमार, सरस कुमार सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।
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