उमेश तिवारी
महराजगंज:लखनऊ सेंटर से कुकरैल घड़ियाल लाकर महराजगंज जिले की नारायणी नदी में शनिवार को छोड़ा गया । जो आज नदी की शोभा बढ़ा रहे हैं। पर्यटकों को लुभाने और घड़ियालों की संख्या बढ़ाने के लिए वन विभाग की ओर से लगातार प्रयास किया जा रहा है।
नेपाल से निकलने वाली नारायणी नदी के टेल फॉल से सटे ठोकर संख्या एक पर जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार और पुलिस अधीक्षक डॉ. कौस्तुभ तथा डीएफओ पुष्प कुमार की मौजूदगी में घड़ियाल के 120 बच्चों को छोड़ा गया। जिसमें 15 नर और 105 मादा शामिल रहे। 60 घड़ियाल के दो वर्ष के थे। 60 तीन से चार वर्ष के बीच के हैं। छोड़े गए सभी घड़ियालों की औसतन लंबाई 120 से 180 सेंटीमीटर के बीच है।
डीएफओ पुष्प कुमार कंधला ने बताया कि जिस प्रकार जंगल में शेर की उपस्थिति स्थलीय पारिस्थिति की तंत्र के स्वस्थ होने का परिचायक है। उसी तरह जलीय पारिस्थिति की तंत्र के स्वस्थ रहने का सबसे बड़ा प्रमाण घड़ियाल होता है। घड़ियाल के लिए स्वच्छ जल व धारा युक्त जल अनुकूल होता है। वर्तमान समय में इनकी प्रजातियों में हो रही भारी कमी के कारण इनके अस्तित्व पर संकट सा छाने लगा है।
इसका कारण कहीं न कहीं प्रदूषित हो रही हमारी जलीय पारिस्थिति तंत्र का अहम योगदान रहा है। नारायणी नदी पर पर्यटकों को लुभाने के साथ ही नदी में इनकी संख्या बढ़ाने के लिए लगातार घड़ियालों को छोड़ा जा रहा है। इस दौरान क्षेत्राधिकारी सूर्यबली मौर्य, रेंजर सुनील राव,अभिषेक सिंह, रविंद्र प्रताप, अशोक सिंह, भोरिक, विजय बहादुर, ज्वाला प्रसाद आदि मौजूद रहे।
मगरमच्छ की तरह आक्रमक नहीं होते घड़ियाल
मगरमच्छ की तरह दिखने वाले घड़ियाल हिंसक जीव नहीं होते हैं। जबकि मगरमच्छ हिंसक होते हैं। घड़ियाल तय समय पर फरवरी में ही अंडे देते हैं।
पहले भी छोड़े जा चुके है 55 घड़ियाल
रेंजर सुनील राव ने कहा कि 4 अक्तूबर 2018 को नारायणी नदी के टेल फॉल पर वन्य प्राणी सप्ताह के तहत कार्यक्रम आयोजित कर 15 घड़ियाल के बच्चे छोड़े गए थे। 18 मार्च 2019 को दूसरी बार नारायणी नदी में आठ नर और 32 मादा सहित कुल 40 घड़ियाल के बच्चें छोड़े जा चुके हैं।
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