आनंद गुप्ता
पलिया कलां खीरी: नगर के तेज महेंद्रा सरस्वती विद्या मंदिर में होली पर्व के महात्म्य का बोध विद्यालय के छात्र छात्राओं को कराते हुए प्रधानाचार्य वीरेन्द्र वर्मा ने कहा कि यदि हम विद्या अध्ययन से सञ्चित सद प्रवृत्तियों का उपयोग सद्भावना से करते हैं तो परिणाम भी सात्विक ही होगा, परन्तु देवत्व से प्राप्त दिव्य शक्तियों का दुर्भावना से प्रयोग करने वाले जीवन में दुर्गति को प्राप्त होते हैं। इस तथ्य का जीवन्त उदाहरण है हमारा होली पर्व।
सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर कॉलेज पलिया की वन्दना सभा में दीप प्रज्ज्वलन पुष्पार्चन एवं मां वीणापाणि की वन्दना के पश्चात प्रधानाचार्य वीरेन्द्र वर्मा ने बताया कि हमारे पर्व दिव्य शक्तियों के संवर्धन एवं सदकार्य से राष्ट्रीय भावों के सम्प्रेषण के उद्देश्य से मनाए जाते हैं। राजा हिरण्यकश्यप ने कठिन तपस्या से प्राप्त दिव्य शक्तियों का सदुपयोग जनता के हित में न करते हुए जन सामान्य पर अहंकार के वशीभूत होकर अपने को भगवान कहलाने के लिए दुरुपयोग किया। सामान्यतः कोई पिता ऐसा नहीं होता जो अपने बेटे को अच्छा न बनाना चाहता हो परन्तु उसने अपने बेटे को भी सन्मार्ग का अनुसरण करने से रोका इतना ही नहीं उसके प्राण लेने पर भी उतारू हो गया कई प्रयास में भी विफल हो जाने पर हताश हुआ। ऐसे समय पर उसकी बहन कुमार्गगामी होलिका ने उसका बुझता हुआ उत्साह फिर जगाया और कहा कि ब्रह्मा के वरदान से मैं आज से अस्पृश्य हूं अग्नि मेरा कुछ नहीं कर सकती इसे सुनकर अभिमानी हिरण्यकश्यप काफी प्रसन्न हुआ। चिता सजाई गई प्रह्लाद को लेकर उसकी बुआ होलिका बैठ गई अग्नि प्रज्ज्वलित होते ही अहंकारी बुआ अट्टहास करने लगी परन्तु विनम्रता की प्रतिमूर्ति भक्त प्रह्लाद श्री हरी का
जाप करने लगे। स्मरण रहे अहंकारी भाव आने पर देवत्व से प्राप्त दिव्य शक्ति भी दुर्गति ही करती है विनम्रता एवं भगवत भक्ति कष्ट आने पर भी आशा की किरण दिखाते हुए सन्मार्ग की ओर प्रेरित करती है। वही हुआ जो भगवान को स्वीकृत था, होलिका जलने लगी तब भी उसे ईश्वर याद नहीं आया विनम्रता न दिखी उसने भगवान को कोसना प्रारम्भ किया धोखा है धोखा है, ब्रह्मा... तूने धोखा दिया है और वहीं दूसरी तरफ प्रह्लाद कष्ट में भी हरि कीर्तन कर रहे थे ईश्वर ने उन्हें होलिका को दिए गए वरदान से विभूषित कर दिया और सुरक्षित बचाया होलिका खाक हो गई। अतः हम सभी को हमेशा सकारात्मक चिन्तन करते हुए दूसरों के प्रति स्नेह रखते हुए सदकार्य में मन लगाना चाहिए। अवकाश के पश्चात सभी छात्र छात्राओं ने एक दूसरे को गुलाल लगाकर शुभ कामनाएं दीं।प्रधानाचार्य एवं आचार्य परिवार ने सभी भैया बहनों एवं उनके परिवार को मंगल कामनाएं दीं।
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