मोहम्मद सुलेमान /राकेश कुमार सिंह
गोंडा ! यूं तो रमजान का पूरा महीना मोमिनों के लिए खुदा की तरफ से अजमत, रहमत और बरकतों से लबरेज है। लेकिन अल्लाह ने इस मुबारक महीने को तीन अशरों में तक्सीम किया है। पहला अशरा खुदा की रहमत वाला है।
एक से 10 रमजान यानी पहले अशरे में खुदा की रहमत नाजिल होती है। रमजान का चांद नजर आते ही शैतान कैद कर लिया जाता है। जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं और दोजख के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। अल्लाहतआला अपनी रहमत से गुनाहगारों को अजाब से निजात देते हैं।
नेक काम के सवाब में 70 गुना इजाफा कर दिया जाता है। रसूल सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम ने फरमाया कि अगर लोगों को मालूम हो जाए कि रमजान क्या चीज है तो मेरी उम्मत साल के 12 महीने रमजान होने की तमन्ना करेगी। रमजान का महीना रहमत व बरकत वाला है। हर मर्द, बच्चे, औरत और बूढे़ रोजे का साथ नमाज-तरावीह में मशगूल रहते हैं। पहला अशरा खत्म और दूसरा अशरा शुरू होने वाला है। लिहाजा उलमा ने पहले और दूसरे अशरे की फजीलत बयान कर रहे हैं।
रमजान के महीने में 1 से 10 रोजा पहला अशरा 11 से 20 रोजा दूसरा अशरा 21 से 29 या 30 तक तीसरा अशरा रमजान के माह में 3 अशरा पड़ते हैं इस बीच मोमिन को ज्यादा से ज्यादा इबादत करनी चाहिए नमाज़ पढ़े कुरान शरीफ पढ़ें तथा दिन-रात अल्लाह की इबादत में लगे रहे और गुनाहों से तौबा करें!
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