अखिलेश्वर तिवारी
जनपद बलरामपुर के तहसील तुलसीपुर क्षेत्र अंतर्गत जनकपुर में स्थापित मुक्तेश्वर नाथ महादेव मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती दिखाई दी । 23 मार्च की रात श्री मुक्तेश्वर महादेव मंदिर, परिसर में चल रहे श्रीराम कथा के दूसरे दिन अयोध्या धाम से पधारे कथा व्यास सर्वेश महाराज ने कहा कि देवी सती जी को विश्वास नहीं हुआ कि श्रीराम स्वयं ब्रह्म है उन्हें वह राजकुमार ही मान रही थी, तब भगवान शिव ने कहा देवी अगर तुम्हें संदेह है तो जाकर परीक्षा ले लो । तुलसी बाबा ने मानस में लिखा है जो तुम्हारे मन अति संदेहू । तौ किन जाय परीक्षा लेहू। जैसे जाइ मोह भ्रम भारी। करेहु सो जतनु बिबेक विचारी। लेकिन देवी सती ने सीता जी का रूप धारण कर और श्रीराम जी के सम्मुख जाकर के प्रणाम किया और कहा कि आपकी सीता का हरण नहीं हुआ है, आपकी सीता तो आपके सामने खड़ी है, लेकिन राम जी ने कहा शिव जी कहां है आप अकेली जंगल में क्यों फिर रही है ? दशरथ का पुत्र श्रीराम आपके चरणों में प्रणाम करता हैं । जब सती जी मुड़कर के दाहिने और बाएं आगे पीछे देखी तो वहां हर स्थान पर राम सीता के साथ बैठे नजर आए । तुलसी बाबा ने मानस में लिखा है जहां चितवहि तह प्रभु आसीना, सेवही सिद्ध मुनीस प्रबीना और उसके बाद शिवजी जान गए कि सती ने सीता का वेश धारण किया है । अब मैं अगर पत्नी के रूप में स्वीकार करूं तो अधर्म होगा अनीति होगी और यह मैं करना नहीं चाहता । इसलिए भगवान शिव ने सती जी का त्याग कर दिया । भगवान शिव ने संकल्प लिया कि शिव संकल्प कीन्ह मन माही । यह तन सती भेंट अब नाही ।। कथा के दौरान दिवाकर पाण्डेय, एसओ महराज गंज व एसओ जरवा सहित बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद रहे ।
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