रजनीश /ज्ञान प्रकाश करनैलगंज(गोंडा)। मंगलवार को कटरा शाहबाजपुर विद्यालय, करनैलगंज में 30 प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों और शिक्षिकाओं के साथ एक दिवसीय स्वच्छ जलीय जीव संरक्षण कार्यशाला का आयोजन उत्तर प्रदेश शिक्षा विभाग एवं टर्टल सर्वाइवल एलायंस के संयुक्त प्रयास से किया गया।
इस कार्यशाला के माध्यम से शिक्षकों की सहायता से विद्यालय के बच्चों तक इन जलीय जीवों की जलीय परिस्थितिक तंत्र में योगदान तथा उनकी उपयोगिता के बारे में जागरूक करते उनके परिवार तक इस संदेश को पहुंचना है। टीएसए की अरुणिमा सिंह ने बताया की क्यों इस कार्यशाला को करने की आवश्यकता पड़ी और इस संरक्षण अभियान में शिक्षक कैसे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है। टीएसए की ही श्रीपर्णा दत्ता ने प्रतिभागी शिक्षकों को अलग अलग रोचक एक्टिविटी के माध्यम से कछुओं की प्रकार, उनका निवास, उनका भोजन और उनपर विपत्ति के बारे में समझाया। अरुणिमा ने कछुओं के बारे में कुछ वैज्ञानिक तथ्य बताए जो उनके संरक्षण एवं उनके खतरे को समझने के लिए अत्यंत आवश्यक है। श्रीपर्णा ने बताया कि कैसे इस कार्यशाला के बाद इस संरक्षण अभियान को स्कूलों के बच्चो तक लेकर जाना है और बच्चो को इस संरक्षण अभियान के साथ जोड़ने के लिए कौन कौन सी एक्टिविटी इन बच्चो के साथ करनी है। खण्ड शिक्षा अधिकारी करनैलगंज सीमा पांडेय ने इस कार्यशाला में सभी उपस्थित शिक्षकों/ शिक्षिकाओं को प्रोसाहित करते हुए संदेश कहा कि इस समय पूरा विश्व विभिन्न प्रकार के पर्यावरणीय समस्याओं का सामना कर रहा है, जिसमे से जल के स्रोतों एवं इसमें रहने वाले जलीय जीवों पर भी भारी संकट है। इस प्रकार की कार्यशाला ना केवल शिक्षकों को इस गंभीर विषय पर पहल करने का अवसर देगा वरन पवित्र सरयू नदी एवं इस पर आश्रित जीवों के संरक्षण में भी सहयोग करेगा।
उपरोक्त कार्यशाला जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी अखिलेश सिंह के दिशानिर्देशों एवं खण्ड शिक्षा अधिकारी, करनैलगंज सीमा पांडेय तथा टीएसए के निदेशक डा. शैलेन्द्र सिंह एवं भास्कर मणि दीक्षित की निर्देशानुसार किया गया। टर्टल सर्वाइवल एलाइंस विगत 11 वर्षो से सरयू, घाघरा नदी एवं उनसे जुड़ी अन्य सहायक नदियों एवं जलाशयों के जलीय जीवों के संरक्षण के लिए इस प्रकार के जनजागरूकता कार्यक्रम को लगातार चला रही है। प्रदेश की अमूल्य जीव पर लगातार अवैध रूप से खतरा बढ़ता जा रहा है। यह जीव अगर ना बचाए गए तो आने वाले कुछ ही वर्षों में यह प्राणी विलुप्ति की कगार पर पहुंच जाएगा।
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