acupressure therapy कैसे इलाज करता है?
सुनील उपाध्याय
बस्ती।जिले मे विश्व संवाद परिषद योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय महासचिव एवं अखंड एक्यूप्रेशर रिसर्च ट्रेंनिंग एंड ट्रीटमेंट इंस्टीट्यूट प्रयागराज के प्रोफेसर डॉ नवीन सिंह ने बताया कि तरीकों को जानने के लिए हम लोगों को पहले मानव शरीर की ऊर्जा प्रणाली को समझना होगा। जैसे कि पहले कहा गया है मानव शरीर इस ब्रह्मांड का एक हिस्सा है । आइए हम लोग एक प्रश्न पूछे कि किसने यह ब्रह्मांड बनाया जैसे- पहाड़, नदियां, पेड़-पौधे, ग्रह, उपग्रह, सूर्य और चंद्रमा इत्यादि। वैज्ञानिक बहुत से तथ्यों को साबित करने में लगे हुए हैं। एक प्रयोगात्मक तथ्य यह है कि क्या वो पलमिस्ट्री , एस्ट्रोनमी , नुमैरलॉजी नामक विज्ञान की गहराई को जान सकते हैं और उसका सच्चा अस्तित्व साबित कर सकते हैं।
यहां पर यह प्रश्न नहीं है कि कोई पलमिस्ट्री में विश्वास रखता है कि नहीं। ध्यान में रखने योग्य बात तो यह है कि क्या पलमिस्ट्री एक विज्ञान है। जब तक हमें किसी क्षेत्र का गहरा ज्ञान नहीं होता हम यह नहीं कह सकते कि पलमिस्ट्री बेकार है। क्योंकि उसने उसका ज्ञान नहीं है। इसी तरह वैज्ञानिक तथा आधुनिक संसार वाले गर्व से बोलते हैं और एसोटेरिक साइंस जैसे प्रनिक हैलिंग , रेकी पर विश्वास करते हैं। जबकि यह शरीर की सच्ची ऊर्जा प्रणाली के साथ कार्य करते हैं। जैसे हम लोगों के शरीर में पाचन प्रणाली और श्वसन प्रणाली है उसी प्रकार शरीर में एक ऊर्जा प्रणाली भी है।
यहां एक प्रश्न खड़ा होता है कि हम लोग मानव शरीर की ऊर्जा प्रणाली को कैसे अनुभव करें ? यहां हम कुछ उदाहरण लेते हैं। एक मानव जीवित है या मुर्दा हम लोगों को तब पता चलता है जब सांस चल रही होती है नाड़ी की धड़कन सुनाई देती है और शरीर में किसी तरह की गति होती है इन सब गतिविधियों के पीछे कौन सी शक्ति है। अगर हम लोग एक जीवित और मुर्दा व्यक्ति की तुलना करते हैं तो कहते हैं की वह जीवित है तो जीव ऊर्जा के कारण। लोगों को यह कहते सुनते हैं कि शरीर से आत्मा निकल गई इसीलिए वह मुर्दा है। शरीर की सारी ऊर्जा प्रणालियों का मुख्य स्रोत आत्मा या ऊर्जा है जो कि मानव को जीवित रखती है। यह जीवनी शक्ति मां के गर्भ मैं घुसती है और एक्स्ट्रा आर्डिनरी और प्राकृतिक तरीके से एक बच्चे के रूप में बाहर निकलती है। पुरुष और स्त्री के स्पर्म और ओवर कई बार मिलते हैं मगर जीवन शक्ति एक निश्चित समय पर ही होती है जब इस ऊर्जा के रचयिता की इच्छा होती है इस तरह हम कह सकते हैं कि परमात्मा अपने छोटे किस्से आत्मा को मां के गर्भ में डालते हैं जिससे एक पूरी तरह नई ऊर्जा प्रणाली पैदा होती है।
इसी तरह एक्यूप्रेशर भी हल्का प्रेशर मानव शरीर पर लगाकर यह बीमारी के चिकित्सा में मदद करती हैं इस तरह उस जीवित मानव की आत्मा से जुड़े हुए ऊर्जा प्रणाली को स्टीमूलेट करती है। मुर्दा मानव शरीर पर प्रेशर डालने से कोई असर नहीं होता क्योंकि उसमें ऊर्जा प्रणाली नहीं होती। हालांकि मुर्दा शरीर में पाचन, परिसंचरण और प्रतिक्रियाओं से संबंधित अंग होते हैं। कार्य उसमें अनुपस्थित है क्योंकि उसमें आत्मा या उर्जा चली गई होती है। इस तरह यह कहा जा सकता है कि एक्यूप्रेशर ऊर्जा के सिद्धांत पर कार्य करता है। वह जगह जहां जीवित शरीर पर दबाव डाला जाता है उसे एक्टिव बिंदु कहते हैं। इस तरह या एक दवा की तरह कार्य करती है। मानव शरीर में निर्मित दवा या एक्यू बंधुओं द्वारा या पद्धति मानव शरीर की चिकित्सा करती है। इन एक्यू बिंदुओं का आपस में तथा शरीर के अलग-अलग हिस्सों से जुड़ा होता है। यह एक निश्चित ऊर्जा के नेटवर्क के अंतर्गत काम करते हैं जिसे मेरिडियन ट्राली कहते हैं जो कि उत्तेजित उर्जा के परिवर्तन को एक जगह से दूसरी जगह पर निर्देशित करके या भेज कर चिकित्सा का असर पैदा करता है।
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