उमेश तिवारी
महराजगंज:आलू किसानों को राहत देने के लिए सरकार ने इसकी खरीद की तैयारी के साथ निर्यात को बढ़ावा देने में ताकत लगा दी है। इसके लिए उप्र. राज्य औद्यानिक सहकारी विपणन संघ (हाफेड) के एमडी अंजनी कुमार श्रीवास्तव को नेपाल भेजा गया है। वहां 15 हजार टन आलू का सौदा पक्का हो गया है। इसकी पहली खेप फर्रुखाबाद से शनिवार को ही रवाना कर दी गई।
आलू के गिरते दामों को देखते हुए सरकार ने सात जिलों फर्रुखाबाद, कौशांबी, उन्नाव, मैनपुरी, एटा, कासगंज व बरेली में 650 रुपये प्रति क्विंटल की दर से आलू खरीद का एलान किया है। सोमवार से इन जिलों में एक-एक खरीद केंद्र शुरू करने की तैयारी है। वहीं, निर्यात के क्रम में नेपाल से सौदा के बाद 30 टन आलू की पहली खेप फर्रुखाबाद से वहां भेजी गई। जबकि आगरा से संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) व मलयेशिया के लिए 30-30 टन की खेप रवाना कर दी गई है। निर्यात बढ़ाकर किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए अन्य देशों से भी संपर्क साधा जा रहा है।
सरकारी दाम से किसानों की लागत ही निकलेगी
किसानों का मानना है कि सरकार जिस दर पर आलू खरीदेगी उससे लागत ही निकलेगी, लाभ बिल्कुल नहीं होगा। सरकार को चाहिए कि लाभकारी मूल्य दे। साथ ही ऐसी नीति बनाए कि फसलों के दाम इतने कम न हों। देवाशरीफ, बाराबंकी के किसान राम नरेश मौर्य कहते हैं कि आलू पर कम से कम 550 रुपये प्रति क्विंटल लागत आ रही है। क्रय केंद्र तक आलू ले जाने का भाड़ा अलग से।
ऐसे में यह तो सही है कि लागत तो किसी तरह से निकल आएगी, पर लाभ नहीं होगा। पेनी पुरवा, बाराबंकी के किसान निर्मल कुमार कहते हैं जितनी लागत आ रही उतना ही मूल्य घोषित किया गया है। हालांकि सरकार ने कम से कम घाटे की भरपाई की पहल तो की। कहा, खरीद सभी आलू उत्पादक जिलों में होनी चाहिए। यदि एक हजार रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीद होती तो किसानों को लाभ होता। सुखांवा, अयोध्या के किसान देवनाथ चौरसिया कहते हैं कि इस बार आलू के दाम गिरने का बड़ा कारण यह भी है कि व्यापारी आलू का भंडारण नहीं कर रहे हैं। किसान का सारा माल बाजार में आ गया है।
सरकारी दावे, कोल्ड स्टोरेज में अभी काफी जगह
प्रदेश में इस समय 2000 कोल्ड स्टोरेज हैं। इनमें 162 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा आलू भंडारण की क्षमता है। उप निदेशक उद्यान (आलू) धर्मपाल सिंह यादव के मुताबिक अभी ये 52 प्रतिशत ही भरे हैं। उन्होंने बताया कोल्ड स्टोरेजों पर पूरी सख्ती कर दी गई है। आलू की खपत भी कम नहीं है। दस लाख टन की प्रतिमाह खपत उप्र में ही है। इतना ही प्रत्येक माह दूसरे प्रदेशों को जाता है।
487 रुपये क्विंटल रखी थी कीमत
छह साल बाद फिर से ऐसे हालात पैदा हुए हैं जब सरकार को आलू खरीदनी पड़ेगी। 2017 में सरकार ने 487 रुपये प्रति क्विंटल की दर से आलू खरीदा था। पर वह योजना फेल हो गई थी क्योंकि प्रदेश में मात्र 1293.70 टन आलू की खरीद हुई थी। यह लक्ष्य के सापेक्ष एक प्रतिशत भी नहीं थी। वहीं, इस बार रकबा बढ़ने (6.94 लाख हेक्टेयर) से उत्पादन 242 लाख मीट्रिक टन तक जाने का अनुमान है।
2017 में प्रदेश में 155 लाख टन आलू का उत्पादन हुआ था। इससे बाजार में दाम धड़ाम हो गया। इस पर सरकार ने आलू खरीद के निर्देश दिए थे।
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