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लैंगिक समानता के क्षेत्र में सम्मानित हुई महिला विभूतियां, साझा किया अनुभव



सुनील उपाध्याय 

बस्ती:महिला दिवस सप्ताह के अंतर्गत डिजिटल संसाधन के जरिए लैंगिक समानता को लेकर विश्व युवक केंद्र नई दिल्ली व युवा विकास समिति द्वारा बस्ती में परिचर्चा और सम्मान समारोह का आयोजन किया गया ।  जिसका विषय डिजिटऑल: लैंगिक समानता के लिए नवाचार और प्रौद्योगिकी रहा इस कार्यक्रम में जहाँ उपस्थित लोगों नें लैंगिक समानता को लेकर आपसी समझ बनाई वहीँ ऐसे लोगों को सम्मानित भी किया गया जो लैंगिक समानता के क्षेत्र में अपना किसी न किसी रूप में योगदान दे रहें हैं । इस मौके पर मुख्य अतिथि डॉ शशि पाण्डेय असिस्टेंट कमिश्नर फ़ूड नें कहा की नें कहा की मैं नारीवादी महिला ही नहीं, मैं नारीवादी पुरुष भी चाहती हूँ, क्योंकि यह सोच, कोई जिस्मानी सोच नहीं है। नारीवाद से हमारा मतलब है "समानता और सिर्फ समानता।

विशिष्ठ अथिति एक्साइज इंस्पेक्टर बस्ती मंडल डॉ. रेखा श्रीवास्तव नें कहा कि जिस परिवार में माता-पिता बराबरी के व्यवहार के साथ, एक-दूसरे का सम्मान करते हुए रहते हैं, उस परिवार के बच्चे भी यही भाव देखते और सीखते हैं। जिस परिवार में माता-पिता के बीच असमान व्यवहार, तनाव और हिंसा होती है, पिता रोज मां पर अत्याचार करता है उस परिवार के लड़के उसी तरह का व्यवहार सीखते हैं और लड़कियां हिंसा सहना सीखती हैं।

क्षेत्रीय युवा कल्याण अधिकारी रोशनी श्रीवास्तव उन्होंने कहा की महिलाओं और लड़कियों की स्मार्टफोन तक पहुंच बढ़ी है। जिससे वह डिजिटल उपकरणों और माध्यमो का उपयोग कर खुद को सशक्त बनाने के लिए उपयोग में ला रहीं हैं। रुधौली क्षेत्राधिकारी प्रीती खरवार नें  कहा की डिजिटल प्रौद्योगिकियों के स्वामित्व और उपयोग में महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण और लैंगिक समानता को बढ़ाने की पर्याप्त क्षमता है । इंटरनेट तक पहुंच और डिजिटल उपकरणों का स्वामित्व और पहुंच रोजगार के अतिरिक्त अवसर, आय और ज्ञान प्रदान कर सकती ।  बाल कल्याण अधिकारी वीना सिंह डिजिटल उपकरणों के जरिये महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति मुखर होने का टिप्स दिया उन्होंने लैंगिक अधिकारों के बारे में उदाहरण देकर समझाया महिला थानाध्यक्ष भाग्यवती पाण्डेय नें महिलाओं को साइबर अपराध से बचने के उपायों पर जानकारी दी। 

विश्व युवक केंद्र नई दिल्ली से मुख्य कार्यकारी अधिकारी उदय शंकर सिंह, नें  ऑनलाइन जुड़ कर महिलाओं को संबोधित करते हुए बताया की पिछले कुछ सालों में भारत में मोबाइल पर इंटरनेट इस्तेमाल करने के नए-नए तरीक़े अपनाने में काफी तेज़ी दिखाई दी है जो हमें वॉइस सर्च, सीखने-सिखाने के लिए अलग-अलग तरह के विडिओ कंटेंट और ऑनलाइन जगहों के लिए स्थानीय भाषा का चुनाव करने में दिखाई देता है। जिससे  इसमें जेण्डर असमानता में कमी आई है। आनंद कुमार, नें बताया की 51% पुरुषों की तुलना में केवल 30% महिलाओं की ही मोबाइल इंटरनेट तक पहुँच है। इसे बढाने की जरुरत है। मंजुनाथ के नें बताया की  महिला फ़ोन यूजर्स की तादाद बढ़ने से उनके लिए अवसरों का पिटारा खुला है।

डॉ नवीन सिंह नें जहाँ एक तरफ महिलाओं की डिजिटल जगहों पर पहुंच बढ़ी है, तो उसकी वजह अधिकतर उनके बच्चों की ऑनलाइन शिक्षा रही है जिसके लिए उन्हें ऐसे फ़ोन या उपकरण दिए गए हैं जिनपर इंटरनेट चल सकता हो।

ग्रामीण फाउन्डेशन इंडिया की वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी अनीता यादव नें कहा की गाँव की महिला किसान सशक्त होंगी वास्तविक मायनों में तभी किसानों का विकास होगा। उन्होंने संस्था द्वारा महिला किसानों के क्षमता वर्धन के लिए किये जा रहे प्रयासों और अनुभवों को साझा की या साथ ही पोषण युक्त फसलों बायो फोर्टीफाईड फसल के उत्पादन को बढाने पर जोर दिया ।  साथ ही खेती में छोटे छोटे महिला किसान अनुकूल कृषि यंत्रों के उपयोग पर जानकारी दी । महिलाओं की इस मोबाइल के ज़रिये वित्तीय सेवाओं तक बढ़ी है जिससे जेण्डर आधारित हिंसा में कमी आई है । कार्यक्रम का संचालन डॉ.संगीता यादव नें किया । इस मौके पर सन्नों दूवे,डॉ, ज्योति सिंह महावीर सिंह, अरुण कुमार, धर्मेन्द्र कुमार पाण्डेय, माधुरी डॉ. लक्ष्मी सिंह, अर्चना श्रीवास्तव, केतकी आर्य दीपा खंडेलवाल, मनीष कुमार, अनुपमा वर्मा, राम मूर्ति मिश्र, आशा अग्रवाल, सहित सौ से अधिक महिलाओं को उनके उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया ।


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