उमेश तिवारी
महराजगंज:परसामलिक थाने के सेवतरी चौकी क्षेत्र से आए दिन रात के अंधेरे में दर्जनों बाइक व साइकिल के माध्यम से गल्ले की तस्करी का खेल स्थानीय प्रशासन के मिलीभगत से परवान चढ़ा हुआ है। उक्त तस्करी के अवैध कारोबार से स्थानीय पुलिस व सीमा पर तैनात सुरक्षाकर्मी अनजान बने हुए हैं। भारत-नेपाल सीमा पर स्थानीय पुलिस की चौकसी के दावों के बीच धान तथा गेहूं की खेप को नेपाल भेजने का धंधा इन दिनों व्यापक स्तर पर है। तस्कर किसानों का गल्ला खरीदने के बाद उन्हें बाइकों व साइकिलों पर लाद कर दिन के उजाले में बार्डर के समीप स्थित मर्यादपुर, झिंगटी,खैरहवांदूबे सेवतरी आदि गांवों में बने अवैध गोदामों में डंप करते है,और शाम होते ही कैरियरों के माध्यम से साइकिल पर लादकर आसानी से उसे नेपाली सीमा में पहुंचा दिया जा रहा है। खासकर थाना क्षेत्र का सेवतरी, झिंगटी, मर्यादपुर, खैरहवांदूबे गांव गल्ले के अवैध कारोबार का सबसे सुरक्षित ठिकाना बन गया है। यहां के कुछ स्थानों पर हर रोज बाहर से सैकड़ों क्विंटल धान की खेप लाकर जमा की जाती है और देर रात व भोर में प्रशानिक चहलकदमी को देखते हुए सरहद पार भेज दी जाती है। आश्चर्य की बात यह है कि इतने बड़े पैमाने पर गल्ले की तस्करी होने के बावजूद कभी अवैध गोदामों पर छापेमारी नहीं की जाती है।
लेकिन इतना जरूर है कि जब कोई इसकी सूचना उच्चाधिकारियों को देता है तो दिखावे के लिए थोड़ा-बहुत गल्ला बरामद कर पुलिस अपना पीठ थपथपा लेती है।
इस संदर्भ में थानाध्यक्ष अमरेंद्र कुमार का कहना है कि सरहद पर गल्ले की तस्करी का मामला संज्ञान में नहीं है, अगर ऐसा है तो जांच-पड़ताल कर कार्यवाही की जाएगी।
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