उमेश तिवारी
काठमांडू / नेपाल:पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ तुर्किये रवाना हो चुके हैं। उनकी यात्रा का मकसद तुर्किये में आए भीषण भूकंप से पीड़ितों के प्रति पाकिस्तान का समर्थन प्रकट करना है। हालांकि, शहबाज शरीफ के तुर्किये यात्रा के टाइमिंग को लेकर सवाल उठ रहे हैं। पाकिस्तान इस समय भीषण आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। अगर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने जल्द ही कर्ज नहीं जारी की तो पाकिस्तान डिफाल्टर घोषित हो सकता है। पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 3.7 बिलियन डालर के रिकार्ड न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुका है। इस कारण पाकिस्तान में महंगाई भी चरम पर है। इसके बावजूद पीएम शहबाज शरीफ अपने देश की चिंता छोड़ तुर्किये के प्रति प्यार दिखाने में जुटे हैं।
शहबाज शरीफ ने क्या कहा
तुर्किये रवाना होने से पहले पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ ने ट्वीट कर लिखा, ''मैं पाकिस्तान के लोगों और सरकार से हमारे तुर्किये के भाइयों और बहनों के प्रति अटूट एकजुटता और समर्थन के संदेश के साथ तुर्किये के लिए रवाना हो रहा हूं। दो देशों में रहने वाले एक राष्ट्र की भावना के अनुरूप, हम उनके नुकसान को अपना मानते हैं।शहबाज शरीफ ने तुर्किये में भूकंप आने के दूसरे दिन ही वहां जाने का ऐलान कर दिया था, लेकिन तब तुर्किये ने उन्हें आने से मना कर दिया था। तुर्किये ने कहा था कि हम भूकंप प्रभावित अपने लोगों के राहत और बचाव कार्य में जुटे हुए हैं। ऐसे में किसी वीआईपी की अगवानी के लिए हमारे पास समय नहीं है।
शहबाज शरीफ की हो रही किरकिरी
शहबाज शरीफ की तुर्किये यात्रा को लेकर पाकिस्तानी अवाम उनकी जमकर खिंचाई कर रही है। कई लोगों ने ट्विटर पर अपने गुस्से का इजहार भी किया है। अमनाह जाबीन नाम की एक यूजर ने लिखा कि हमारे पीएम तुर्किये के साथ खड़े होने के लिए निकल रहे हैं, जबकि उनका अपना देश बदहाली में है। अपनी विदेश यात्राओं पर जनता का पैसा खर्च कर रहे हैं, जबकि देश जिंदा रहने के लिए हांफ रहा है। अपनों के साथ खड़ा नहीं हो सकते लेकिन दूसरों का साथ दे सकते हैं !! ऐसे कई यूजर्स ने शहबाज शरीफ के खिलाफ गुस्से का इजहार किया है।
तुर्किये और पाकिस्तान भाई-भाई
तुर्किये और पाकिस्तान की दोस्ती 70 साल से भी ज्यादा पुरानी है। तुर्किये ने हमेशा से ही इस्लाम के नाम पर पाकिस्तान को ज्यादा तरजीह दी है। तुर्किये के राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोगन ने तुर्किये और पाकिस्तान की इस्लाम के नाम पर हुई दोस्ती को और ज्यादा मजबूत किया है। उन्होंने पाकिस्तान को खुश करने के लिए कई बार संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर का मसला उठाया है। हालांकि, भारत ने उतनी ही बार तुर्किये को करारा जवाब भी दिया है। यही कारण है कि तुर्किये और भारत के संबंध काफी खराब हैं।
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