मोहम्मद सुलेमान
गोण्डा:सबमिशन ऑन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन आत्मा योजना अंतर्गत कृषि उपसंभाग उतरौला के अंतर्गत विकासखंड उतरौला के कृषकों का एक दिवसीय प्रशिक्षण आज दिनांक 13 फरवरी 2023 को कृषि विज्ञान केंद्र मनकापुर गोंडा में संपन्न हुआ । प्रशिक्षण का शुभारंभ मुख्य अतिथि ग्राम प्रधान महेवा नानकार के प्रतिनिधि धनपतधर शुक्ला द्वारा किया गया । उन्होंने किसानों से वैज्ञानिक खेती अपनाने का आह्वान किया । श्री शुक्ला ने बताया वैज्ञानिक ढंग से खेती करने पर कम लागत में ज्यादा आय प्राप्त होती है । डॉक्टर पीके मिश्रा प्रभारी अधिकारी कृषि विज्ञान केंद्र मनकापुर गोंडा ने मोटे अनाजों की खेती को स्वास्थ्य एवं पोषण की दृष्टि से अत्यंत लाभकारी बताया । मोटे अनाजों में गेहूं, धान की तुलना में कैल्शियम, फास्फोरस लोहा आदि पोषक तत्वों की ज्यादा मात्रा पाई जाती है । मोटे अनाजों की खेती सीमित संसाधनों एवं कम लागत में की जा सकती है । डॉ. रामलखन सिंह वरिष्ठ वैज्ञानिक शस्य विज्ञान ने मोटे अनाजों के अंतर्गत ज्वार,बाजरा, सावां, कोदों, रागी की खेती के बारे में जानकारी दी । उन्होंने प्राकृतिक खेती के सिद्धांतों, जीवामृत, घनजीवामृत, बीजामृत, दशपर्णी अर्क, नीमास्त्र, ब्रह्मास्त्र, अग्नियास्त्र आदि बनाने की विधि एवं प्रयोग विधि की जानकारी दी । उन्होंने फसल अवशेष प्रबंधन के लिए पूसा वेस्ट डिकंपोजर के प्रयोग को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया । दो सौ लीटर वाले प्लास्टिक के ड्रम में एक बोतल पूसा डिकंपोजर मात्रा 100 मिलीलीटर तथा 2 किलोग्राम गुड़ को मिला देते हैं । ड्रम को जूट के बोरे या सूती कपड़े से ढक दिया जाता है । घोल को दिन में दो बार लकड़ी के डंडे की सहायता से घड़ी की सुई की दिशा में 2 से 3 मिनट तक घुमाया जाता है । 5 दिन में घोल का रंग बदलकर क्रीमी हो जाता है । अब यह घोल फसल अवशेष में छिड़काव के लिए तैयार है । इसमें जीवाणुओं की पर्याप्त संख्या पाई जाती है ।इसका छिड़काव करने से अवशेष 15 दिन में सड़कर खाद में बदल जाते हैं । डॉ. मनोज कुमार सिंह उद्यान वैज्ञानिक ने पौधशाला में फल एवं सब्जी पौध उत्पादन तकनीक, लो टनल पाली हाउस में पौध उत्पादन की जानकारी दी । उन्होंने बताया कि फल,सब्जी पौध का उत्पादन कर किसान भाई अपनी आय में कई गुना वृद्धि कर सकते हैं । डॉ. मनीष कुमार मौर्य फसल सुरक्षा वैज्ञानिक ने एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन की जानकारी दी । उन्होंने ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई को बहुत महत्वपूर्ण बताया । यह जुताई रबी फसल की कटाई के उपरांत अप्रैल या महीने में की जाती है, जिससे खरपतवार, कीड़ों एवं बीमारियों के अवशेष तेज धूप में नष्ट हो जाते हैं । डॉक्टर दिनेश कुमार पांडेय ने फल परिरक्षण के अंतर्गत आम आंवला अमरूद करौंदा बेल आदि के अचार मुरब्बा कैंडी जेली आदि बनाने की विधि की जानकारी दी । उन्होंने बताया कि फल परिरक्षण को अपनाकर किसान भाई अपना व्यवसाय शुरू कर सकते हैं । इसमें राज्य सरकार एवं भारत सरकार द्वारा किसानों को अनुदान भी देय है । फसलों की उपज का उचित मूल्य भी मिल सकता है । अशोक कुमार सहायक कृषि विकास अधिकारी ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि एवं कुसुम योजना की जानकारी दी । अमित पांडेय विषय वस्तु विशेषज्ञ ने डीबीटी योजना, शशिचंद्र तिवारी बीटीएम ने कृषि यंत्रों पर अनुदान के बारे में जानकारी दी । इस अवसर पर कृषि विभाग के प्राविधिक सहायकों आदर्श सिंह, विनयराम, रविंद्र कुमार, जितेंद्र कुमार, रंजीत कुमार, रमेशचन्द्र शर्मा तथा राम सिंह एटीएम सहित प्रगतिशील कृषकों श्रीमती वंदिनी, लोकपति पांडेय, सूरजलाल, अमरलाल आदि ने प्रतिभाग कर खेती की तकनीकी जानकारी प्राप्त की ।
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