उमेश तिवारी
काठमांडू / नेपाल:तिब्बत राइट कलेक्टिव की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने 2025 तक तिब्बत में 4,000 किलोमीटर लंबी रेल लाइन बिछाने का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा 2035 तक यहां 59 नए हवाई अड्डे और 300 हैलीपेड भी बनाने में जुटा है।
कुटिलता और चालबाजी के लिए कुख्यात चीन ने अब तिब्बत में पैंतरेबाजी शुरू कर दी है। विकास के नाम पर तिब्बत में चीन तेजी से सैन्य ढांचे को बढ़ा रहा है। इससे पहले चीन दशकों से तिब्बत की संस्कृति और पहचान को नष्ट करने में लगा है। लेकिन, तिब्बत में अब बार-बार चीन के खिलाफ विरोध उभरने लगा है। चीन इस विरोध को कुचलने के लिए बेहद शातिर अंदाज में विकास के नाम पर इस तरह के ढांचे तैयार कर रहा है, जिनकी मदद से तिब्बत में तेजी से सेना पहुंचाई जा सके।
तिब्बत राइट कलेक्टिव की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने 2025 तक तिब्बत में 4,000 किलोमीटर लंबी रेल लाइन बिछाने का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा 2035 तक यहां 59 नए हवाई अड्डे और 300 हैलीपेड भी बनाने में जुटा है। तिब्बत पालिसी इंस्टीट्यूट के मुताबिक, चीन तिब्बत में बुनियादी ढांचा यहां के लोगों की सुविधा के लिए नहीं, बल्कि यहां के लोगों के विरोध को कुचलने के लिए तेजी से सेना भेजने के लिए तैयार कर रहा है। चीन का लक्ष्य है कि तिब्बत की बौद्ध पहचान को नष्ट कर इसे पूरी तरह से चीन में शामिल किया जाए।
चीन फिलहाल अलग-अलग तरीकों से तिब्बत में बौद्ध संस्कृति को नष्ट कर रहा है। स्कूली शिक्षा के जरिये तिब्बती बच्चों को चीनी भाषा सिखा रहा है कि उनकी संस्कृति असल में एक विकृति है, जिसे छोड़ देना चाहिए। इसके अलावा ल्हासा का तेजी से शहरीकरण किया गया है, जहां चीनी प्रवासी श्रमिकों को बसाया जा रहा है और उन्हें तिब्बती मूल की स्त्रियों से विवाह के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
नेपाल और बांग्लादेश तक पहुंचाना चाह रहा है ट्रेन
चीन तिब्बत को स्वायत्तशासी क्षेत्र कहता है, लेकिन इसे हर हाल में पूरी तरह से चीन में विलय करना चाहता है। चीन यहां की बौद्ध संस्कृति को इस लक्ष्य की राह में अड़चन मानता है। इसी वजह से योजना के तहत धीरे-धीरे तिब्बत से बौद्ध संस्कृति को मिटाने में लगा है। बुनियादी ढांचा चीन की इसी तरह की योजना का हिस्सा है। 2021 तक चीन तिब्बत में 1,359 किलोमीटर लंबी रेल लाइन बिछा चुका है। इसके अलावा चीन यहां अंतर्राष्ट्रीय रेलवे कारिडोर बनाना चाह रहा है, ताकि पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश जैसे देशों को रेलवे के जरिये चीन से जोड़ा जा सके।
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