उमेश तिवारी
जनकपुर / नेपाल:अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण काफी तेजी से हो रहा है। कहा जा रहा है कि मंदिर का 50 फीसदी निर्माण कार्य पूरा हो चुका है और अक्टूबर 2023 तक पहला तल तैयार भी हो जाएगा।
दूसरी ओर रामलला की मूर्ति को लेकर भी खूब जोर-शोर से काम चल रहा है। अयोध्या के भव्य राम मंदिर में रामलला की मूर्ति बनाने के लिए नेपाल की गंडकी नदी से शालिग्राम शिलाएं अयोध्या पहुंच गई है।
हालांकि इसको लेकर बड़ी अपडेट यह सामने आ रही है कि रामलला की मूर्ति का निर्माण इन्हीं शिलाओं से होना पक्के तौर पर तय नहीं है। खबर के मुताबिक, अभी यह फाइनल होना बाकी है कि रामलला का विग्रह इन्हीं शिलाओं से बनेगा या नहीं। राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने इस बारे में अनिश्चितता जताई है।
परीक्षण होना है बाकी
मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय का कहना है कि रामलला की मूर्ति निर्माण के लिए विशेषज्ञ इन शिलाओं का परीक्षण कर अपनी राय देंगे। वो इन शिलाओं की उपयोगिता के बारे में बताएंगे। राय ने कहा कि विशेषज्ञों द्वारा शिलाओं के परीक्षण के बाद पता चलेगा कि इसका भीतरी हिस्सा कितना मजबूत है और कैसा है।
शालिग्राम ही प्रायोरिटी पर विकल्प भी तैयार
चंपत राय का कहना है कि राम लला के विग्रह को गढ़ने के लिए शालिग्राम शिलाओं को ही प्रायोरिटी पर रखा गया है। उन्होंने कहा कि अगर इन शिलाओं में कोई तकनीकी दिक्कतें आती है तो विकल्प के तौर पर दूसरी शिलाएं भी तैयार हैं।
राय ने बताया कि ओडिशाऔर कर्नाटक से भी पत्थर की शिलाओं को मंगाया जा रहा है। शालिग्राम की शिला श्याम रंग की है, जबकि ओडिशा और कर्नाटक से मंगाई जा रही शिलाओं का रंग इनसे अलग हो सकता है।
मीटिंग में होगा फाइनल
नेपाल से चलीं शालिग्राम शिलाएं बुधवार रात अयोध्या पहुंच गई हैं। शालिग्राम की इन शिलाओं को रामलला के विग्रह निर्माण के लिए नेपाल की गंडकी नदी से निकाल कर लाया गया है। मूर्ति निर्माण विशेषज्ञ इन शिलाओं का परीक्षण करेंगे। दिक्कत हुई तो ओडिशा और कर्नाटक से मंगाए जानेवाले पत्थर भी विकल्प बनेंगे। रिपोर्ट्स के अनुसार, सारी शिलाओं का परीक्षण होगा।
चंपत राय के मुताबिक, सारी शिलाओं का परीक्षण एक्सपर्ट करेंगे और फिर फाइनल करेंगे कि राम लला के विग्रह निर्माण के लिए कौन-सी शिलाएं उपयुक्त होंगी।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रायोरिटी शालिग्राम शिलाओं की ही रहेगी। दो माह के अंदर शिलाओं के परीक्षण का काम पूरा कर लिया जाएगा। एक्सपर्ट टीम की रिपोर्ट पर ट्रस्ट की मीटिंग में इस बात पर अंतिम फैसला लिया जाएगा।
चयन से पहले भी हुई थी शिलाओं की जांच
गंडकी नदी में शालिग्राम के पत्थर पाए जाते हैं, जिनकी उम्र करोड़ों साल बताई गई है। इन शालिग्राम पत्थरों की पूजा भगवान विष्णु के रूप में की जाती है और इसलिए इसे देवशिला भी कहा जाता है।
जानकी मंदिर के प्रमुख महंत रामतापेश्वर दास के मुताबिक, कई हफ्तों की कोशिशों के बाद विशेषज्ञों ने पत्थर के दो बड़े टुकड़े चिन्हित किए थे। एक्सपर्ट्स की इस टीम में जियोलाजिस्ट और टेक्नीशियंस भी शामिल थे।
जांच के बाद कुल 350 टन के दो टुकड़ों का चयन किया गया था।अब एक बार फिर मूर्ति निर्माण से पहले इन शिलाओं का परीक्षण होगा।
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