उमेश तिवारी
काठमांडू / नेपाल:मोहम्मद अली जिन्ना ने जब पाकिस्तान की नींव रखी होगी तो उन्हें लगा होगा कि यह मुल्क दुनियाभर के मुसलमानों का नेतृत्व करेगा। भारत और पाकिस्तान का बंटवारा 'टू नेशन थियरी' को आगे रखते हुए मजहब के आधार पर हुआ था।
हालांकि दिसंबर 1971 में बांग्लादेश की आजादी के साथ ही 'मजहब' के नाम पर बने इस मुल्क के 2 टुकड़े हो गए। आज हालत यह है कि उसी पाकिस्तान में अलग बलूचिस्तान और सिंधुदेश की जोर पकड़ रही है।
कंगाली की हालत में पहुंचा पाकिस्तान
उस समय तो जिन्ना ने सोचा था कि पाकिस्तान मुसलमानों का एक ऐसा देश होगा जिससे दुनिया रश्क करेगी, लेकिन आज यह मुल्क दाने-दाने को मोहताज है और अपना खर्चा चलाने के लिए दूसरे देशों से भीख मांग रहा है।
जिस तरह एक गरीब और बदमाश इंसान के साथ उसके रिश्तेदार भी रिश्ता तोड़ लेते हैं, ऐसा ही मुल्कों के साथ भी होता है। पाकिस्तान के पास अपने लोगों को खिलाने के लिए पर्याप्त मात्रा में आटा तक नहीं है, ऐसे में अलग-अलग इलाकों से बगावत की आवाजें आने लगी हैं।
गूंजा ‘...आज बनेगा सिंधुदेश’ का नारा
हाल ही में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और कथित आजाद कश्मीर में भारत के पक्ष में आवाजें उठी थीं। वहीं, पाकिस्तान के सिंध प्रांत से भी ऐसी आवाजें उठने लगी हैं जो अलग ‘सिंधुदेश’ की मांग कर रही हैं।
हाल ही में एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है जिसमें कुछ लोग सुरक्षाबलों के सामने ही ‘कल बना था बांग्लादेश, आज बनेगा सिंधुदेश’ का नारा लगा रहे हैं। वैसे तो सिंधियों के लिए एक अलग देश की मांग दशकों पुरानी है, लेकिन हाल में इस मांग ने काफी जोर पकड़ लिया है।सिंधुदेश में पाकिस्तान के सिंध प्रांत का पूरा इलाका आता है।
‘सिंधुदेश’ में कौन से इलाके आते हैं?
सिंधुदेश में पाकिस्तान का पूरा सिंध प्रांत आता है और यह इलाका 1,40,914 वर्ग किलोमीटर में फैला है। इस पूरे प्रांत में 4.7 करोड़ लोग रहते हैं। यानी कि क्षेत्रफल और जनसंख्या के मामले में यह भारत के ओडिशा राज्य जितना बड़ा है।
यह इलाका पाकिस्तान के पूरे क्षेत्रफल का लगभग 20 फीसदी है। पाकिस्तान के इस इलाके में 91.32 फीसदी मुसलमान, 7.5 फीसदी हिंदू, लगभग एक फीसदी ईसाई और 0.22 फीसदी अन्य धर्मों के लोग रहते हैं।
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