शनि कुमार केशरवानी
प्रयागराज:प्रयागराज संगम नगरी माध मेला में मौनी अमावस्या पर शनिवार को भक्ति के बहाव में भावों के सारे तटबंध टूट गए। न ठिठुरन को जोर चला, न बारिश ही आस्था के कदमों को डिगा सकी। संगम हो या गंगा के घाट या फिर पांटून पुलों पर बढ़ता कारवां।
हर तरफ भक्ति का सागर हिलोरें मारता रहा। मिलते, बिछड़ते एक-दूसरे का हाथ पकड़े श्रद्धालु संगम पर पहुंचते रहे। देर शाम तक मेला प्रशासन ने 2.09 करोड़ श्रद्धालुओं के स्नान का दावा किया। इस दौरान संगम पर हेलिकॉप्टर से पुष्पवर्षा कर योगी आदित्यनाथ सरकार ने स्नान पर्व की भव्यता में चार चांद लगा दिया।
घाटों पर मनौतियां मानने वाले ढोल-ताशे के साथ डुबकी लगाने पहुंचे। पुण्य की डुबकी लगाने के लिए लाखों श्रद्धालुओं के रेला के बीच संगम समेत काली, त्रिवेणी और मोरी मार्गों पर बने स्नान घाट और पांटून पुलों पर रेला चलता रहा। कड़ाके की ठंड के बावजूद आधी रात से ही 17 घाटों पर मौन डुबकी की होड़ मच गई। चार बजे भोर में गंगा, यमुना, अदृश्य सरस्वती के संगम पर कपड़े रखने तक की जगह नहीं बची।
जार्जटाउन और केपी कॉलेज के पास बैरिकेडिंग कर वाहनों का संगम मार्ग पर प्रवेश रोक दिया गया था। तीन से चार किमी तक पैदल चलने के बाद भी किसी के चेहरे पर थकान नहीं रही। हर तरफ से अमावस्या स्नान के लिए समूहबद्ध श्रद्धालुओं की टोलियां हाथों में तरह-तरह के झंडे लिए चलती रहीं तो कहीं एक -दूसरे का हाथ थामे लोग बढ़ रहे थे। सिर पर गठरी और हाथ में झोला।
कोई रस्सी के घेरे में चल रहा था तो कोई गमछे को थाम कर तलता रहा। महिलाएं समूहों में स्नान के बाद दीप जलाती और गंगा गान करती रहीं। शिविरों में कीर्तन-कथाओं की गूंज मचती रही। कहीं अखंड कीर्तन तो कहीं यज्ञ वेदियों पर हवन से विश्व कल्याण की कामना की जाती रही। संतों की टोलियां ढोल, मंजीरे पर भजन करने में लीन रहीं।
2.09 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के संगम पर डुबकी लगाने का मेला प्रशासन ने किया दावा
04 राउंड हेलिकॉप्टर से संतों-भक्तों पर की गई पुष्प वर्षा। 155 सीसीटीवी कैमरों से मेला क्षेत्र पर रखी गई नजर
मौनी अमावस्या पर अक्षयवट-सरस्वती कूप में दर्शन स्थगित
मौनी अमावस्या देश के कोने-कोने से पहुंचे श्रद्धालु अक्षयवट और सरस्वती कूप का दर्शन करने से वंचित रह गए। स्नान पर्व पर भीड़ को देखते हुए शनिवार को मूल अक्षयवट और सरस्वती कूप को आम श्रद्धालुओं के लिए नहीं खोला गया। इस वजह से हजारों श्रद्धालुओं को वापस होना पड़ा। इस दौरान किले में स्थिति अन्य देवी-देवताओं के भी दर्शन आम भक्त नहीं कर सके।
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