वेदव्यास त्रिपाठी
प्रतापगढ़! शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के विस्तार हेतु राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर 1000 किशोरियों ने अपने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पोस्टकार्ड पर मांगें लिखकर भेजा।
उक्त जानकारी देते हुए तरुण चेतना के निदेशक नसीम अंसारी ने बताया कि बेटियों कि माँग है कि "यदि 12वीं कक्षा तक शिक्षा भेदभाव रहित मुफ्त और अनिवार्य कर दी जाती है, तो हम में से बहुत सारी किशोरियां, जो निजी स्कूल की फीस का भुगतान करने में सक्षम नहीं हैं या 8वीं कक्षा के बाद पास के सरकारी स्कूल की अनुपलब्धता के कारण पढ़ाई छोड़ देती हैं, अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने में सक्षम होंगी"।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में जारी यू०डी०आई०एस०ई० की एक रिपोर्ट 2021-22 के अनुसार भारत में 3.85 करोड़ बच्चे माध्यमिक स्तर पर और 2.85 करोड़ उच्च माध्यमिक स्तर पर नामांकित हैं। इसमें स्कूल जाने वाली आबादी का केवल 14.5% माध्यमिक स्तर पर नामांकित है, जो उच्च माध्यमिक स्तर पर 10.8% तक घट जाता है, जो बालिकाओं को ड्राप आउट हो जाने का संकेत देता है।
सरकार के द्वारा बच्चों को औपचारिक स्कूली शिक्षा की मुख्य धारा में लाने पर जोर देने के साथ साथ सार्वभौमिक पूर्णता सुनिश्चित करने पर अधिक जोर दिया जाना चाहिए। अधिक ड्रॉपआउट का मुख्य कारण माध्यमिक स्तर पर आवश्यक संख्या में पहुंच और अच्छे विद्यालयों की अनुपलब्धता है।
अंसारी के अनुसार नए स्कूल खोलकर स्कूली शिक्षा का विस्तार करने की सख्त जरूरत है। इस प्रतिबद्धता के अभाव में अच्छे विद्यालयों के न होने का खामियाजा ज्यादातर किशोरियों को भुगतना पड़ता है क्योंकि उन्हें समाज के पितृसत्तात्मक ढांचे में ड्राप आउट हो जाने के आलावा और कोई रास्ता नहीं दिखता है।
आर०टी०ई० के विस्तार के अलावा बेटियों ने पोस्ट कार्ड में अपनी छात्रवृत्ति की समय पर उपलब्धता और सरलीकृत प्रक्रिया, स्कूल के अन्दर और बाहर सुरक्षा और शिक्षकों की अनुपलब्धता सहित बालिकाओं के लिए अलग शौचालयों की भी मांग की हैं।
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