रजनीश / ज्ञान प्रकाश
करनैलगंज(गोंडा)। नगर में चल रहे श्रीराम कथा महोत्सव के आठवें दिन की कथा में अंतरराष्ट्रीय कथा प्रवक्ता आचार्य रसराज मृदुल महाराज ने प्रभु श्रीराम के आदर्शों को समझाते हुए कहा कि प्रभु श्रीराम स्वयं विग्रहवान धर्म है प्रभु ने जो कुछ भी अपने चरित्र के माध्यम से सिखाया वह हम सभी के लिए अनुकरणीय हैं।
भरत जी ने अपने भाई के लिए अवध का पूरा साम्राज्य तृण के समान छोड़ दिया और समाज को बताया कि परमात्मा के द्वारा दिए गए संबंधों को किस प्रकार निभाना चाहिए और भाई भाई में किस प्रकार का प्रेम होना चाहिए।
आज हर व्यक्ति जहां से भी मिले धर्म चाहे अधर्म का धन हो खा लेता है जिसके कारण घर में परिवार में विकृतियां पैदा हो जाती हैं और घर के संस्कार धीरे-धीरे समाप्त हो जाते हैं।
इसलिए परिवार को अगर सुखी देखना है तो केवल अपनी मेहनत के द्वारा कमाए गए धन से ही परिवार का भरण पोषण करना चाहिए। श्री राम कथा में भक्तों के चरित्र का वर्णन करते हुए नवधा भक्ति का उपदेश किया गया।
श्री रामचरितमानस में शबरी माता को प्रभु श्रीराम नवधा भक्ति का उपदेश करते हैं और शबरी के यहां पर भगवान ने आकर के पूरे समाज को संदेश दिया कि भगवान की नजर में सब बराबर हैं।
प्रभु की नजर में जाति पाति का कोई वर्ण भेद नहीं है और संतो ने कहा भी है कि जातिवाद पूछे नहीं कोई हरि को भजे सो हरि को होई, भगवान ने शबरी के घर जाकर भोजन किया और समाज को संदेश दिया के हम सबको समाज के भूले बिछड़े हुए पिछड़े वर्ग के लोगों को भी पूरा सम्मान देना चाहिए।
उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए। जब हमारे भगवान भेदभाव नहीं करते तो हमें भी नहीं करना चाहिए। भेदभाव श्रीराम कथा सारे समाज को समरसता का संदेश देती है और मानव मात्र को प्राणी मात्र को मानव धर्म के लिए प्रेरित करती है।
सही अर्थ में साधारण मनुष्य को महामानव बनाने का कार्य श्री राम कथा करती है। इस मौके पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु व स्रोता मौजूद रहे।
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