सुनील उपाध्याय
बस्ती।जिले मे विश्व संवाद परिषद योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय महासचिव प्रो.डॉ नवीन सिंह बताया कि यह आयुर्वेद द्वारा बतायी गयी वस्ति क्रिया का आधुनिक और सरल रूप है।
यह प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति की प्रमुखतम क्रियाओं में शामिल है। इसका उद्देश्य है बड़ी आँतों की सफाई करना, क्योंकि बड़ी आँतों में बहुत सा मल एकत्र होकर सड़ता रहता है, जो अपने आप नहीं निकलता। उसको गुदा में पानी चढ़ाकर और उसमें घोलकर निकालना पड़ता है।
एनीमा लेने की विधि बहुत सरल है। इसके लिए एनीमा का एक डिब्बा बाजार में दवाइयों या सर्जीकल वस्तुओं की दूकानों पर मिलता है, जिसमें नीचे की ओर एक टोंटी लगी होती है। उस टोंटी में एक रबर की नली लगा देते हैं और उस नली के दूसरे सिरे पर एक प्लास्टिक की पतली और नुकीली टोंटी लगी होती है, जो गुदा में घुसाई जाती है।
एनीमा के डिब्बे को जमीन से लगभग ढाई-तीन फुट ऊपर दीवार पर किसी कील पर टाँग देना चाहिए। फिर उसमें लगभग एक-सवा लीटर सुहाता हुआ गुनगुना पानी भर लेना चाहिए।
उसमें एक या आधा नीबू का रस निचोड़ा जा सकता है, हालांकि यह अनिवार्य नहीं है। अब जमीन पर चित लेटकर घुटनों को ऊपर उठा लीजिए और रबड़ की नली के दूसरे सिरे पर लगी हुई प्लास्टिक की टोंटी को गुदा में एक-दो इंच डालिए।
आवश्यक होने पर उस टोंटी को तेल लगाकर चिकना किया जा सकता है, ताकि वह गुदा में सरलता से जाये। अब टोंटी खोलकर पानी को पेट में जाने दीजिए। आसानी से जितना सहन हो सके, उतना पानी पेट में जाने देने के बाद टोंटी निकाल दीजिए।
अब पानी को पेट में ही चार-पाँच मिनट रोकिए। लेटकर घड़ी की सुई की दिशा में पेट की गोल-गोल मालिश कीजिए। इससे मल आँतों से टूटेगा और पानी में घुल जाएगा। इसके बाद शौच जाइये। शौच अपने आप होने दीजिए।
जोर बिल्कुल मत लगाइये। शुरू में 10 या 15 मिनट तक शौचालय में बैठने की आवश्यकता हो सकती है। एनीमा के बाद कटिस्नान अवश्य लेना चाहिए, क्योंकि एनीमा से आँतों में गर्मी पहुँचती है, जिसे हटाना जरूरी है। कटिस्नान की विधि अगली कड़ी में बतायी गयी है।
डॉ नवीन सिंह ने बताया कि एनीमा लेने का उद्देश्य केवल बड़ी आँतों की सफाई करना और कब्ज से बचना होता है। केवल चिकित्सा के दिनों में ही जब अपने आप शौच नहीं हो रहा हो, तब यह क्रिया करनी चाहिए। इसकी आदत डालना गलत है। सामान्य स्वस्थ व्यक्ति यदि सप्ताह में एक बार यह क्रिया कर ले, तो उसे पर्याप्त लाभ होता है। इससे कब्ज नहीं होता और पाचन क्रिया सुधरती है।
पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए शक्तिदायक एनीमा लेना चाहिए। इसमें केवल एक पाव ठंडा पानी रात को सोते समय आँतों में चढ़ाया जाता है और वहीं छोड़ दिया जाता है। सुबह शौच के साथ वह पानी अपने आप निकल जाता है। यदि आपकी पाचनशक्ति बहुत कमजोर है, तो ऐसा एनीमा आप कुछ दिनों तक रोज भी ले सकते हैं।
यदि किसी कारणवश आप एनीमा के डिब्बे की व्यवस्था न कर सकें या ऊपर बतायी गयी विधि से एनीमा न ले सकें, तो उसके स्थान पर निम्नलिखित उपाय करके एनीमा का लाभ उठाया जा सकता है।
एक-डेढ़ लीटर गुनगुने पानी में दो-तीन नीबू निचोड़ लीजिए और उसके बीज यदि हों तो निकाल दीजिए। अब एक-एक गिलास पानी हर 10-15 मिनट बाद पीते रहिए।
यदि इसके बाद दस्त होते हों, तो होने दीजिए। इस क्रिया से आमाशय और आँतों की अच्छी प्रकार धुलाई हो जाती है और एनीमा का अधिकांश लाभ मिल जाता है।
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