रजनीश / ज्ञान प्रकाश
करनैलगंज(गोंडा)। नगर में चल रहा श्रीराम कथा महोत्सव विशाल भंडारे के साथ संपन्न हुआ। श्रीराम कथा में कथा प्रवक्ता आचार्य रसराज मृदुल महाराज ने कथा के अंतिम दिवस श्रीराम कथा के गूढ़ रहस्यों को कथा में उजागर किया और प्रभु श्री राम की कथा के माध्यम से समस्त करनैलगंज वासियों को अपने धर्म और समाज के प्रति दायित्वों के लिए जागरूक किया।
कथा का वर्णन करते हुए कहा कि सबसे बड़े श्रीराम के सेवक हनुमान जी महाराज हैं जिन्होंने सेवक के धर्म को सारे जगत को सिखाया।
स्वामी के प्रति समर्पण निष्ठा और किस प्रकार आदर भाव होना चाहिए यह श्री हनुमान जी महाराज के जीवन को देखने से मिलता है। प्रभु श्रीराम के रावण वध पर कथा प्रवक्ता आचार्य रसराज मृदुल ने कहा की अनीति अत्याचार करने वाला जन शोषण करने वाला कितना ही बड़ा बलशाली, धनवान, वैभव क्यों न हो, अंततः अधर्म का नाश ही होता है और धर्म की विजय होती है।
प्रभु श्रीराम ने रावण का वध करके सारे समाज सत्यमेव जयते का संदेश दिया। प्रभु श्रीराम ने हर संबंध को सच्चे भाव के साथ निभाया। सुग्रीव के साथ मित्रता करके भगवान ने हमें सिखाया की मित्रता में भेदभाव नहीं होता।
मित्रता का संबंध समस्त जाति व संप्रदायों से ऊपर है। रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने कहा है कि मित्र के थोड़े से दुख को भी पहाड़ के समान समझना चाहिए और अपने पहाड़ जैसे दुख को भी मित्र के छोटे से दुख के सामने छोटा समझकर मित्र को महत्व देना चाहिए।
सच्चे अर्थों में जिन संबंधों के लिए हम त्याग की भावना रखते हैं और निस्वार्थ भाव से कार्य करते हैं वही संबंध सच्चे होते हैं। श्रीरामचरितमानस संदेश देती है कि परोपकार (परमार्थ) के समान कोई दूसरा धर्म नहीं है हर धर्म हमें परमार्थ परोपकार के मार्ग पर चलना ही सिखाता है।
इसलिए मनुष्य का परम कर्तव्य है कि वह परमार्थ के मार्ग पर चलें और समस्त जगत के प्राणियों के हित की रक्षा के लिए कार्य करें। यही हमारे देश व समाज के हित में होगा। जब तक परोपकार की भावना और समस्त प्राणियों के प्रति दया का भाव रहेगा तभी हम मनुष्य कहलाने के अधिकारी होंगे।
नौवें दिवस की कथा के पश्चात में विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। जिसमें हजारों भक्तों ने आकर के प्रसाद ग्रहण किया।
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