वेदव्यास त्रिपाठी
खबर प्रतापगढ़ से है जहां पण्डित जवाहर लाल नेहरू भारत रत्न एंव प्रथम प्रधानमन्त्री के साथ ही स्वतन्त्रता के पूर्व और पश्चात् की भारतीय राजनीति में केन्द्रीय व्यक्तित्व बने।
महात्मा गांधी के संरक्षण और बाबा रामचंद्र के समर्थन से वे भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के सर्वोच्च नेता के रूप में उभरे थे! वर्ष 1947 ई० में भारत के एक स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में स्थापना से लेकर १९६४ में अपने निधन तक उन्होंने शासन किया।
यह विचार विशिष्ट बीटीसी शिक्षक संघ जिलाध्यक्ष डा०विनोद त्रिपाठी ने उच्च प्राथमिक विद्यालय, कांपा मधुपुर में आयोजित विचार गोष्ठी के दौरान ब्यक्त किया!
डा०विनोद ने बताया कि नेहरू जी आधुनिक भारतीय राष्ट्र, सम्प्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतान्त्रिक गणतन्त्र के वास्तुकार मानें जाते हैं।
मूलतः कश्मीरी पण्डित समुदाय के होने की वजह से उन्हें पण्डित नेहरू भी कहे जाते थे, जबकि भारतीय बच्चे उन्हें चाचा नेहरू के रूप में अधिक जानते हैं।
स्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री का पद सँभालने के रूप में, वे भारत के सपने को साकार करने के लिए चल पड़े। जिसके बाद उन्होंने आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक सुधारों के एक महत्त्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की।
मुख्यतः अनेकता एवं बहुवचनी, बहु-दलीय लोकतन्त्र को पोषित करते हुए उन्होंने भारत के एक उपनिवेश से गणराज्य में परिवर्तन होने का पर्यवेक्षण किया।
अमेरिका और रुस की दो ध्रुवीय राजनीति से अलग विदेश नीति में उन्होंने गुटनिरपेक्षता की नीति को स्वीकार किया था!भारत रत्न और प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के जन्मदिन पर शिक्षकों ने चाचा नेहरू के चित्र पर माल्यार्पण किया! प्राथमिक प्रधानाध्यापक डा०विनोद त्रिपाठी ने बाल दिवस पर पं० नेहरु की जनपद प्रतापगढ़ में पहली किसान सभा की चर्चा की! साथ ही नेहरू जी को गुटनिरपेक्ष आन्दोलन एवं आधुनिक भारत के शिल्पकार की संज्ञा दी!
शिक्षक देवानन्द मिश्र ने स्वतंत्रता आंदोलन में उनके अप्रतिम योगदान को याद किया! जब 1920 में किसानों के शोषण के खिलाफ रुरे पट्टी क्षेत्र में उन्होंने गाँव की रपटीली राहों पर चलते हुए पदयात्रा की थी! प्रभारी प्र०अ० राजेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि पण्डित नेहरू ने पंचवर्षीय योजनाओं का श्री गणेश कराया!
इस मौके पर मो०शुएब,श्रीमती नीतू सिंह , शशिबाला शुक्ला, सुरुचि सिंह, संजीव दूबे, विनीता मिश्रा एवं आकाश वर्मा ने विचार ब्यक्त किया!
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