आनंद गुप्ता
पलिया कलां खीरी :नगर के तेज महेंद्रा सरस्वती विद्या मंदिर में वन्दना सभा में श्री गुरु नानक देव जी के चित्र पर पुष्पार्चन, तिलक वन्दन करते हुए प्रधानाचार्य ने माता सरस्वती के पुनीत मंच पर दीप प्रज्वलन किया गया।
प्रधानाचार्य वीरेन्द्र वर्मा ने दीप प्रज्वलन के पश्चात भैया बहनों को सम्बोधित करते हुए कहा कि गुरु नानक देव जी महाराज का जन्म सन 1469 ई. में कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था।
गुरु नानक देव जी अपने व्यक्तित्व में एक दार्शनिक, गृहस्थ, धर्म सुधारक, समाज सुधारक, योगी, कवि, देशभक्त तथा विश्व बंधुत्व की अनन्य भावना के गुण समेटे हुए थे। इनका जन्म तलबण्डी नामक स्थान (अब ननकाना साहिब) पाकिस्तान में हुआ था।
पिता का नाम लाला कल्याण राय मेहता कालू तथा माता का नाम तृप्ता था। नानक देव जी को उनके अनुयाई , नानक शाह, गुरु नानक देव, नानक बाबा के नाम से पुकारते हैं। लाहौल लद्दाख में इन्हे नानक लामा भी कहते हैं।
परम सत्ता के अनन्य भक्त उच्च कोटि के सन्त समाजसेवी नानक देव बचपन से ही सभी में उसी परम चेतना का दर्शन करते थे। सच्चाई के पथ पर चलने वाले बिखर कर सच्चाई का विस्तार करें एवं गलत मानसिकता के लोग वहीं टिकें। इस सम्बन्ध में बाला मरदाना के साथ की गई यात्राओं का भी वृतान्त सुनाया।
भैया बहनों को ईश्वर सर्वत्र है इस सार्वभौमिक सत्य को उनके जेहन में उतारने के लिए नानक जी के शिष्य मरदाना के साथ को गई मक्का को उबासी की कहानी सुनाई। जब नानक देव जी पर काजियों की सेवा करने वाला जियोन काफी नाराज हुआ उनसे बोला आप काबा की तरफ पैर करके क्यों लेट गए ? नानक देव जी कहने लगे कि इधर क्या है ? तो जियोन बोला उधर खुदा का घर है।
नानक देव जी ने कहा मैं बहुत थका हुआ हूं जिधर खुदा नहीं उधर मेरे पैर कर दो। जियोन ने ऐसा ही किया उसने देखा कि जिधर भी पैर करता हूं उधर ही काबा दिखता है। आश्चर्य चकित होकर जियोन और सभी हाजी इस्लाम अनुयाई उनके पैरों में गिरकर क्षमा मांगने लगे।
ऐसे थे अपने महान सन्त मानवता उद्धारक श्री गुरु नानक देव जी।आज हम सब यह संकल्प लें कि किसी के प्रति बैर भाव से नहीं देखूंगा। सभी में ईश दर्शन करूंगा। तो यह पर्व मनाने का हमारा उद्देश्य पूरा होगा।
इस पावन अवसर पर समूचा विद्यालय स्टाफ मौजूद रहा।
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