आदिवासियों को नहीं मिल पा रहा होम्योपैथिक चिकित्सा का लाभ
आनंद गुप्ता
पलिया कलां, खीरी। कई वर्ष से थारु ग्राम छेदिया पूरब का होम्योपैथिक अस्पताल बंद है। इससे उक्त ग्राम सहित निकटवर्ती थारू ग्रामों के हजारों आदिवासियों को होम्योपैथिक चिकित्सा का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
कई बार इसको पुनः चालू कराने के लिए ग्रामीणों ने प्रयास भी किये, वे शासन -प्रशासन के जिम्मेदारों से भी मिले, पर अस्पताल का ताला आज तक नहीं खुला।
ज्ञात हो कि आज भले ही सस्ती एवं उपयोगी होम्योपैथी चिकित्सा की लोकप्रियता बढ़ती जा रही हो, लेकिन व्यवस्था की लापरवाही से थारू जनजाति के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को होम्योपैथिक सेवाएं नसीब नहीं हो पा रही हैं।
हालत यह है कि पलिया तहसील क्षेत्र के ग्राम पंचायत छेदिया पूरब में स्थापित होम्योपैथिक अस्पताल करीब 5 वर्षों से बंद पड़ा है। डॉक्टर एवं अन्य कर्मियों के अभाव में यह अस्पताल अब बदहाल हो चुका है।
राज्य सरकार भले ही स्वास्थ्य सेवाओं को जन- जन तक पहुँचाने का अथक प्रयास कर रही है ,लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती नजर आ रही है।
होम्योपैथिक अस्पताल में डॉक्टर तो दूर कंपाउंडर तक की व्यवस्था नहीं है। इसके चलते इस क्षेत्र के लोगों को सुलभ होने वाली होम्योपैथिक चिकित्सा से वंचित होना पड़ रहा है।
क्षेत्र के लोगों ने इस अस्पताल को चालू करवाने के लिए कई बार अधिकारियों एवं पार्टी पदाधिकारियों से गुहार भी लगाई, लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकला। अब हालत यह है कि स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर यहां के वाशिंदों को निजी अस्पताल या झोलाछाप चिकित्सकों के भरोसे रहना पड़ रहा है।
क्या कहते हैं स्थानीय लोग
स्थानीय ग्रामीण राम फेर, राधे श्याम राना, रामलखन, रोहित राना, महंत विद्यानंद , मनीष राना आदि ने बताया कि करीब पांच वर्षों से यह होम्योपैथिक अस्पताल बंद है।
अब तो इसका भवन भी बदहाल हो चुका है। जब तक यह अस्पताल चालू था, तब तक डॉक्टरी सलाह के साथ-साथ दवा की सुविधा भी लोगों को मिलती थी।
अब यह अस्पताल शोभा की वस्तु बन चुका है। ग्रामीणों ने विभागीय पदाधिकारियों से इस अस्पताल को शुरू करवाने की मांग की है।
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