Type Here to Get Search Results !

Bottom Ad

अहिल्या उद्धार, गंगा तट आगमन व नगर दर्शन की लीला का मंचन



रजनीश / ज्ञान प्रकाश 

करनैलगंज(गोंडा)। श्री धनुषयज्ञ महोत्सव समिति सकरौरा के तत्वावधान में चल रही रामलीला की चौथी रात्रि में अहिल्या उद्धार, गंगा तट आगमन व नगर दर्शन की लीलायें मंचित की गयीं।


ऋषि विश्वामित्र के साथ जा रहे श्रीराम, लक्ष्मण को मार्ग में एक आश्रम दिखाई पड़ा। "आश्रम एक दीख मग माहीं, खग मृग जीव जन्तु तहं नहीं"। उसके बारे में पूछने पर विश्वामित्र ने बताया कि यह गौतम ऋषि का आश्रम है। 


इसके पश्चात गौतम की पत्नी अहिल्या के शिला होने तक की कथा मंचित की गयी। श्रीराम ने शिला रूपी अहिल्या का उद्धार किया। आगे चलकर वे गंगा तट पर पहुंचे। यहां पंडाइन का प्रहसन मनोरंजक रहा। 


गंगा स्नान के पश्चात उन लोगों ने जनकपुर की अमराई में विश्राम किया। उनके आगमन का समाचार पाकर राजा जनक ने अपने गुरु सतानंद के साथ आकर तीनों का स्वागत किया और सुंदर सदन में विराजमान किया‌। 


गुरु से आज्ञा लेकर राम, लक्ष्मण नगर दर्शन को गये‌ जहां पुर बालक आकर उन्हें नगर भ्रमण कराते हैं। हाट में पहुंचने पर दलाल लोग उन्हें विभिन्न दुकानों पर ले जाकर बहुमूल्य सामान दिखाते हैं। इसमें विक्रय वस्तुओं की बड़ाई में दुकानदार गीत गाते प्रस्तुत हुए। 


यह दृश्य भी काफी मनोरंजक रहा। नगर भ्रमण के पश्चात दोनों भाई गुरु के पास वापस आ गये। 


लीला में आशुतोष दुबे, शिवम दुबे, शचीन्द्रनाथ मिश्रा, भोला सोनी, सौरभ, सचिन सोनी, मानस मिश्रा आदि के अभिनय सराहे गये। 


पात्रों का श्रृंगार रितेश सोनी ने किया तथा लीला का संचालन श्रीभगवान साह और पन्नालाल सोनी ने किया।

Tags

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Top Post Ad



 




Below Post Ad

5/vgrid/खबरे