वेदव्यास त्रिपाठी
खबर प्रतापगढ से है जहां भारत रत्न सरदार पटेल अन्याय नहीं सहन कर पाते थे। अन्याय का विरोध करने की शुरुआत उन्होंने स्कूली दिनों से ही प्रारम्भ कर दिया था।
गुजरात के नडियाद में उनके स्कूल के अध्यापक पुस्तकों का व्यापार करते थे और छात्रों को बाध्य करते थे कि पुस्तकें बाहर से न खरीदकर उन्हीं से खरीदें।
वल्लभभाई ने इसका विरोध किया और छात्रों को अध्यापकों से पुस्तकें न खरीदने के लिए प्रेरित किया। परिणामस्वरूप अध्यापकों और विद्यार्थियों में संघर्ष छिड़ गया। 5-6 दिन स्कूल बंद रहा। अंत में जीत सरदार की हुई। अध्यापकों की ओर से पुस्तकें बेचने की प्रथा बंद हुई।
यह विचार भारत रत्न सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के जन्मदिन पर उच्च प्राथमिक विद्यालय कांपा मधुपुर, बाबा बेलखरनाथ धाम में विशिष्ट बीटीसी शिक्षक संघ जिलाध्यक्ष डा०विनोद त्रिपाठी ने ब्यक्त किया!
परिसर में बच्चों की निबन्ध, रंगोली, दौड़ और वाद विवाद प्रतियोगिता कराई गयी! पटेल जी की मूर्ति/चित्र पर ग्राम प्रधान सीताराम सरोज, प्रभारी राजेंद्र प्रताप सिंह और डा०विनोद त्रिपाठी ने माल्यार्पण किया!
राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता दिवस पर बच्चों से प्राथमिक हेडमास्टर डॉ० विनोद त्रिपाठी ने कहा कि सरदार पटेल के बारदोली सत्याग्रह , असहयोग आंदोल, नमक आन्दोलन और सविनय अवज्ञा आन्दोलन में सक्रिय भागीदारी की थी ! देश की एकता एंव अखण्डता को लेकर प्रमुख योगदान सरदार पटेल ने किया था!
वरिष्ठ शिक्षक देवानंद मिश्र ने स्वतंत्रता सेनानी सरदार पटेल के सत्याग्रह के प्रति समर्पण की चर्चा की! इस अवसर पर निबन्ध प्रतियोगिता के निर्णायक मो०शुएब , रंगोली प्रतियोगिता की निर्णायक श्रीमती नीतू सिंह, श्वेता मिश्रा, शशि बाला शुक्ल , योगिता पाण्डेय, सुरुचि सिंह यादव, विनीता मिश्र एवं संजीव दूबे आदि ने भारत रत्न सरदार पटेल जी के जीवन से प्रेरणा लेने की बात कही!
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