रजनीश / ज्ञान प्रकाश
करनैलगंज(गोंडा)। करनैलगंज की रामलीला में रावण का वध एवं वनवास पूरा करके अयोध्या वापस पहुंचे भगवान श्रीराम का राजतिलक व राजगद्दी का कार्यक्रम का मंचन अनूठे ढंग से रामलीला भवन गुड़ाही बाजार में किया गया।
लीला में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचंद्र अयोध्या में आगमन कर प्रकांड विद्वान दशानन की आत्मा की शांति के लिए विधि विधान से हवन पूजन यज्ञ किया।
तत्पश्चात श्रीराम का राज्याभिषेक वशिष्ठ मुनि द्वारा प्रथम तिलक करके मंत्रोच्चारण के साथ राजगद्दी पर विराजमान कराया गया।
चारों भाइयों सहित माता जानकी, हनुमान, जामवंत व सुग्रीव और लंका के महाराजा विभीषण को विदाई देकर सभी को आग्रह करते हैं कि अपने-अपने राज्य में जाकर प्रजा की सेवा करें और धर्म के मार्ग पर चलकर के प्राणियों में सद्भावना और विश्व कल्याण के लिए राज्य संचालन करें।
परंतु हनुमान जी ने प्रभु श्री रामचंद्र जी से कहा कि मुझे अपने ही चरणों में जगह दे दीजिये, आपने कहा था कि आप मेरे छोटे भाई के समान हैं मैं आपसे दूर नहीं रह सकता।
इस पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचंद्र जी ने कहा कि ठीक है तुम पृथ्वी पर रहकर कलयुग के देवता हनुमान के रूप में विराजमान हो गए और धर्म की रक्षा के लिए जहां जहां मेरी कथा और भजन होगा मैं वही विराजमान रहूंगा।
उसके बाद रघुपति राघव राजा राम के साथ राजगद्दी की लीला समाप्त होती है। शनिवार की रात्रि में लीला मंचन में भाग लेने वाले पात्रों, पत्रकारों व प्रशासनिक, पुलिस अधिकारियों को सम्मानित किया गया।
देर रात्रि जय श्रीराम के जयकारे के साथ रामलीला का समापन किया गया।
इस मौके पर कमेटी के अध्यक्ष हरि कुमार वैश्य, महामंत्री कन्हैया लाल वर्मा, पंडित राम चरित्र, महंत गिरजा शंकर गिरी, आयुष सोनी, विशाल कौशल, अशोक कुमार शुक्ला, ज्ञान प्रकाश मिश्रा सहित रामलीला के तमाम पदाधिकारी उपस्थित रहे।
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