कुलदीप तिवारी
लालगंज, प्रतापगढ़। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने केन्द्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरन रिजिजू के हवाले से छपे एक लेख में न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया के बाबत दिये गये बयान को न्यायपालिका की गरिमा को लेकर बेहद खतरनाक और चौकाने वाला करार दिया है।
प्रमोद तिवारी ने कहा कि विधि मंत्री ने कहा है कि न्यायाधीश की नियुक्ति मे कॉलेजियम प्रणाली पर वह सहमत नही है। बयान पर तल्ख प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राज्यसभा सदस्य एवं कानूनविद प्रमोद तिवारी ने कहा है कि न्याय का प्रचिलित एवं प्रतिपादित सिद्धांत न्याय होना ही नही चाहिए बल्कि न्याय होता हुआ दिखना भी चाहिए।
बकौल प्रमोद तिवारी ज्यादातर वाद मे सरकारी एक वादी या प्रतिवादी पक्ष होती है, ऐसी स्थिति मे सरकार द्वारा नामित न्यायाधीश यदि फैसला करेंगे तो उनकी भी वही स्थिति होगी जो आज सरकार द्वारा योग्यता हटाकर पार्टी के प्रति निष्ठा के आधार पर ज्यादातर सरकारी वकीलो के गैर पारदर्शी चयन में देखा जा रहा है।
प्रमोद तिवारी ने कहा है कि सरकारे आती-जाती रहती है और कानून मंत्री और प्रधानमंत्री बदलते रहते हैं परन्तु न्यायपालिका से जुड़ा हुआ न्यायाधीश पहले दिन से और अपने कार्य दिवस के अन्तिम दिन तक न्यायपालिका से जुड़े अधिवक्ताओं को करीब से देखते हैं और उनकी कार्य दक्षता को बेहतर पहचानते हैं। कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी के मुताबिक आज भी कॉलोजियम संस्तुति करती है फिर केन्द्रीय सरकार से सिफारिश करती है,
उनके आचरण एवं उनके चरित्र प्रमाणपत्र सरकार ही देती है तथा केन्द्र सरकार की राय के बाद ही राष्ट्रपति को संस्तुति के लिए भेजा जाता है। श्री तिवारी ने कहा है कि ऐसी व्यवस्था जो बहुत दिनो से चली आ रही है, उस पर यह कहना कि पहले के न्यायाधीश, प्रमुख न्यायाधीश वरिष्ठ होते थे यह आज के वरिष्ठ न्यायधीशों एवं पूरी न्यायपालिका का अपमान है और अविश्वास है।
श्री तिवारी ने कहा कि मोदी सरकार के कानून मंत्री का अविश्वास इस ओर इशारा करता है कि क्या सरकार की कुछ मनमानी के प्रति न्यायपालिका के न्याय देने पर सरकार इसे स्वीकार नही कर पा रही है ?
श्री तिवारी ने कानून मंत्री से तंज भरे लहजे मे सवाल दागा है कि क्या वे न्यायपालिका की स्थिति भी उन सरकारी संवैधानिक एजेंसियो की तरह करना चाहते है ? जिनकी कार्य करने की शैली और विश्वसनीयता पर आज प्रश्नवाचक चिह्न लग रहे हैं ।
कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने इस मुददे पर सरकार के इरादे को फलीभूत न होने का ऐलान करते हुए जरूरत पड़ने पर संसद से सडक तक मुखर विरोध किये जाने को लेकर सरकार को आगाह किया है।
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