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पूर्व समर्पण ही प्रभु कृपा की पात्रता :मिथिला शरण

  


 बनारसी लाल मौर्या

नवाबगंज(गोंडा) कटरा कुटी धाम पर चल रही कथा के पांचवें दिन की कथा में कथा व्यास ने कहा कि प्रभु कृपा प्राप्ति का एकमात्र स्तंभ सिर्फ पूर्व समर्पण ही हो सकता है !


विधाता की विधान के अनुसार जिसने अपने को ढाल लिया जीवन में कभी भी वह व्यक्ति दुखी नहीं रह सकता !हंसते-हंसते परिस्थिति को अपने अनुसार बना लेने की कला को ही भक्ति की संज्ञा दी गई है !


 हनुमान जी पर श्री राम जी की कृपा अनायास ही नहीं हुई हनुमान जी ने सहर्ष स्वीकार कर लिया कि हे प्रभु आप जो कुछ भी करना चाहोगे मैं न नहीं करूंगा !


परिणाम स्वरूप भगवान ने हनुमान जी को चारों युग का भगवान बना दिया ! जिस दिन सुदामा जी ने यह निर्णय ले लिया कि आज से भिक्षा मांगने और रोने का काम बंद ,उसी दिन उसी क्षण भगवान कृष्ण ने सुदामा जी को अपना राज सिहासन तक देने का मन बना लिया !


जिस क्षण विभीषण ने यह निर्णय लिया कि अब मुझसे रावण के यहां तो रहना ही नहीं है और श्री राम जी के पास पहुंच नहीं सकता , विधाता के निर्णय का सम्मान करते ही हनुमान जी ने विभीषण को लंकेश के पद पर प्रतिष्ठित करा दिया ! अस्तु चारों ओर से आशा समाप्त कर अपने निर्धारित कर्म और जिम्मेदारी के प्रति समर्पित होते ही भगवान की कृपा तुरंत प्राप्त होती है ! 


पूर्ण समर्पण ही प्रभु कृपा प्राप्ति की पात्रता है !भटकना बंद करके तुरंत प्रभु की ओर बढ़ चलने पर तुरंत कृपा प्राप्त होगी !

 इस अवसर पर कथा के मुख्य यजमान डॉ सुशीला रानी पांडे ,राम मणि पांडे , गौशाला के प्रबंधक डॉ राम प्रकाश शर्मा , हिंदुस्तान समाचार के पत्रकार राकेश सिंह ,नवाबगंज के थाना अध्यक्ष राकेश सिंह, सूर्यभान सिंह, सरयू घाट पुलिस चौकी प्रभारी अभिषेक पांडे ,देवी चरण मिश्रा ,विपनेश पांडे ,विनोद कुमार गुप्ता ,डॉअरुण सिंह आदि बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे !

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