"धारा के धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व को संरक्षित करने की हुई अपील"
वेदव्यास त्रिपाठी
खबर प्रतापगढ़ से है जहां आंवला नगरी गोंडे के पीछे कमास गांव में स्थित अति प्राचीन मोक्षदा जल धारा क्षेत्र का भ्रमण व दर्शन प्रसिद्ध पांडव कालीन भयहरण नाथ धाम के पदाधिकारियों ने किया।
सभी ने इस अद्भुत जल धारा में हुए अभी तक के कार्य व प्रभाव से रूबरू होकर सरकार से इसके विकास व संरक्षण के साथ साथ धारा के धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व को संरक्षित करते हुए पर्यटन विकास के लिए विशेष प्रयास का अनुरोध किया।
उल्लेखनीय है कि गत 2016 से निरंतर इस जल धारा के विकास व संरक्षण हेतु सामाजिक कार्यकर्ता समाज शेखर के मार्गदर्शन में स्थानीय समाज के युवाओं की सहभागिता व तत्कालीन ज़िलाधिकारी व सीडीओ की मदद से सरकार के विभिन्न विभागों के सहयोग से पिछले 2 वर्ष पूर्व 2018 से 2020 तक में जल धारा की खुदाई, पौधरोपण व 2 चेकडेम बनायें गए है।
जिसके परिणाम स्वरूप निरंतर धरती से निकलने वाली इस जलधारा का जल अब व्यर्थ नहीं बह रहा है और दोनों चेकडेम से अथाह जल का संरक्षण हो रहा है। ज़िससे आसपास की व्यर्थ पडी भूमि फिर से हरियाली के साथ खेती में भी उपयोगी हो रही है।
इस अवसर पर समाज शेखर ने बताया की लोक मान्यता के अनुसार प्रभु श्रीराम ने वन गमन के दौरान इस जल धारा मे मुंह धुला था। यह पवित्र जलधारा है जो आगे रामगढी स्थल पर सुलतानपुर जनपद से आने वाली नदी चमरौरा नदी में मिल जाती है।
चमरौरा नदी थोड़ी ही दूर पर बेल्हा देवी धाम के सामने सई नदी में मिल जाती है। उन्होंने बताया की स्थानीय क्षेत्रीय विधायक राजेन्द्र मौर्य ने अभी हाल ही में इस धारा का भ्रमण करके इस स्थल का प्राकृतिक विकास करके इसे पर्यटन स्थल के रुप में विकसित करने का निर्णय लिया है और अधिकारियों को योजना बनाने के निर्देश दिये हैं।
उम्मीद है की हम लोगों की वर्षो की मांग अब जल्द पूरी होगी और यह जलधारा जनपद को गौरवान्वित करेगी।
इस अवसर पर मोक्षदा संरक्षण व विकास समिति के संयोजक व राष्ट्रीय पर्यावरण सुरक्षा संघ के प्रमुख श्लोक मिश्र, साहित्य भूषण सम्मान से अलंकृत जनकवि जय प्रकाश शर्मा तथा भयहरण नाथ धाम के अध्यक्ष राज कुमार शुक्ल , संरक्षक राज नारायन मिश्र , सचिव राज किशोर मिश्र, उप सचिव हेमराज अग्रहरी आदि उपस्थित रहे।
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