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निघासन:हर्षोल्लास के साथ मनाया गया भैया दूज का त्योहार



सतीश गुप्ता 

निघासन खीरी: भैया दूज का त्योहार बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। बहनों ने सुबह से ही भाइयों को टीका लगाने के लिए सर्व प्रथम यम भगवान की पूजा की, उसके बाद चौक पर ही बैठ कर अपने भाइयों को टीका लगाकर पारंपरिक ढंग से चूरा भुरकी खिलाकर मुंह मीठा कराया। और अपने भाई की लंबी उम्र की कामना भी की।


भारतीय परंपरा और शास्त्रों के अनुसार यम द्वितीया यानी भाई दूज के दिन बहनें यम भगवान की पूजा करती है और भाइयों को टीका लगाती हैं। साथ ही भाइयों के लंबी उम्र की कामना करती हैं।



देवकली तीर्थ के आचार्य राजेश मिश्रा, पंडित लालता प्रसाद ज्योतिषी बताते हैं कि आज के दिन यमराज अपनी बहन के घर आए थे, और बहन की पूजा स्वीकार करके उनके घर भोजन किया था।


और पंडित जी ने बताया कि आज के दिन यमुना नदी में भाई बहन एक साथ स्नान करते हैं जिसे यमदुतिया स्नान भी कहते हैं, जो मथुरा क्षेत्र में स्थित यमुना नदी में की जाती है।

निघासन क्षेत्र में भाई दूज भाई दूज का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र की कामना करने के लिए सुबह से ही तैयारी कर अलग-अलग स्थानों पर यम की पूजा कर रही हैं। भाई-बहन के पवित्र और अटूट संबंध के इस त्योहार का विशेष ही महत्व है।



बताया जाता है कि भैया दूज को भातृ द्वितीया भी कहते हैं। भाई-बहन के अटूट प्रेम संबंध में इस त्योहार का विशेष महत्व है। भाई दूज पर बहनें भाइयों के दीर्घायु व स्वस्थ होने की मंगल कामना करती है। 


पौराणिक कथाओं और परंपरा के अनुसार भगवान सूर्य की पत्नी छाया को दो संतान यमराज और यमुना थी। यमुना अपने भाई यमराज से बड़ा स्नेह करती थी। बराबर अपने घर भोजन करने का आमंत्रण देती थी। 


यमराज अपनी बहन के आमंत्रण को बार-बार अनसुना कर देते थे, कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया के दिन यमुना नेयमराज को वचनबद्ध कर अपने घर आने को विवश कर दिया। तब से ही भाई दूज मनाने की परंपरा है। 


उसी परंपरा को निभाने के लिए आज भी बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र व स्वस्थ रहने के लिए पहले भगवान यम की पूजा करती है। उसके बाद भाइयों को टीका लगाकर उनकी लंबी उम्र व स्वस्थ रहने की कामना करती है।


बहन आस्था बाथम ने अपने भाई नीलाक्ष के टीका करते हुए बताया कि भाइयों के टीका लगाने से पहले भगवान यम की पूजा की जाती है। जिसमें उनकी कथा सुनने के बाद ही भाइयों को टीका लगाकर उनकी लंबी आयु की कामना की जाती है।

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