रजनीश / ज्ञान प्रकाश
करनैलगंज(गोंडा)। करनैलगंज तहसील के नकहरा सहित बाराबंकी के दर्जनों मजरों में अब घाघरा की बाढ़ ने कहर बरपाना शुरू दिया है।
इधर सोमवार को बैराजों से फिर साढ़े लाख क्यूसेक का डिस्चार्ज हो जाने से आने वाले दिन परेशानी भरे हो सकते है। घाघरा नदी मौजूदा समय में उफान पर है। इसका जलस्तर खतरे के निशान से करीब 80 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच गया है। घाघराघाट एल्गिन ब्रिज स्थित केंद्रीय जल आयोग के कर्मी नदी के जलस्तर पर नजर बनाए हैं।
तटवर्ती क्षेत्रों के ग्रामीणों के माथे पर संभावित बाढ़ को देखते हुए चिंता की लकीरें उत्पन्न हो गई हैं। घाघरा नदी में उफान आने से तहसील के करीब तीन गांव के 15 मजरों में बाढ़ का पानी घुस जाने से ग्रामीणों की दुश्वारियां बढ़ गई हैं। वहीं सैकड़ों हेक्टियर फसल भी पानी में डूब गई है। संपर्क मार्गों पर पानी भर जाने के कारण आवागमन प्रभावित हुआ है।
जलस्तर पर एक नजर
सोमवार को घाघरा घाट पर स्थित केंद्रीय जल आयोग गेज के मुताबिक घाघरा नदी में छोड़े गए कुल 7 लाख 47 हजार 272 क्यूसेक डिस्चार्ज में गिरिजा बैराज से 5 लाख 12 हजार 125 क्यूसेक, शारदा बैराज से 1 लाख 60 हजार 996 क्यूसेक वहीं सरयू बैराज से 74 हजार 151 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है।
सीजन के अंत में इतने बड़े डिस्चार्ज से घाघरा नदी लाल निशान से 80 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। वहीं जानकारों की माने तो इतने बड़े डिस्चार्ज से जलस्तर डेंजर लेवल से एक मीटर से अधिक ऊपर जा सकता है। बाढ़ खंड के एई अमरेश सिंह बताते हैं बांध पर निरंतर निगरानी की जा रही है, अभी कोई खतरा नहीं है। फिर भी सतर्कता बरती जा रही है।
तीन गांवों के 15 मजरे प्रभावित
एसडीएम हीरालाल ने बताया करनैलगंज तहसील के तीन गांवो के 15 मजरे बाढ़ से प्रभावित हैं। नकहरा के नौ मजरे जिसमें राधेपुरवा, तीरथरामपुरवा, पुहिलपुरवा, बसंतलालपुरवा, मोछारनपुरवा, दुलारेपुरवा, छंगूलालपुरवा, संभरपुरवा, देवकिशुनपुरवा शामिल है। वहीं चन्दापुरकिटोली के नाऊपुरवा, बिचलापुरवा व धुसवा है। इसी प्रकार पसका के दो मजरे इकनिया मांझा व गोड़ियन पुरवा में बाढ़ का पानी भर चुका है।
उन्होंने बताया बाढ़ पीड़ितों को राशन वितरित किया जा चुका है। सभी बाढ़ चौकियों को सक्रिय कर दिया गया है, जहां भोजन बन रहा आज लंच पैकेट वितरित किया जाएगा। मौके पर बीडीओ श्रीकांत, लेखपाल सुजीत भारती के साथ तहसीलकर्मी मौजूद हैं।
बाढ़ पीड़ितों ने बांध पर बनाया आसियाना
बाढ़ का पानी गांवों में भर जाने से ग्रामीण बांध पर ही फूस का मकान बनाकर व तिरपाल तानकर अपना आसियाना बनाये हुए हैं। वहीं तहसील प्रशासन पीड़ितों तक राहत सामग्री पहुंचा कर दर्द में मरहम लगाने में जुटा है।
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