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मनकापुर:दलालों के जाल में फंसा सीएचसी, जानिए क्यों नही हिल रही है दलाली की मजबूत जड़ें


                              

गोण्डा:सीएम योगी के सुशासन में भी मनकापुर सीएचसी दलालों के चंगुल से मुक्त नहीं हो पा रहा है। वर्षों से जमे अधिकारियों कर्मचारियों की मिलीभगत से परवान चढ़ा रहे दलालों के मकड़जाल से मनकापुर सीएचसी को मुक्ति मिलने की उम्मीद भी जगी थी लेकिन जिले के स्वास्थ्य विभाग की मुखिया के हिलाहाली रवैया से सीएचसी से दलाली खत्म नहीं हो सकी।


जिस कारण से गरीबों को मिलने वाली सरकारी सुविधाओं के स्थान पर छोटी-छोटी समस्याओं में भी चल रहे पैथोलॉजी लैब से बड़ी बड़ी जाच करवाना पड़ता है, मेडिकल स्टोर से भारी भरकम दवाइयां खरीदनी पड़ रही हैं।


बताते चलें कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मनकापुर में चिकित्सकों के नाम पर महज दो चिकित्सकों की ही तैनाती है जिसमें सीनियर चिकित्सक व अधीक्षक डॉ डीके भास्कर और डॉक्टर रवीश रिजवी तैनात है। दोनों चिकित्सकों के ओपीडी कक्ष पर स्थानीय मेडिकल स्टोर संचालकों और पैथोलॉजी लैब के दलालो का जमावड़ा लगा रहता है। 


मामूली बीमारियों में भी होती है भारी भरकम जांच

पैथोलॉजी लैब और चिकित्सकों के बीच हुए सांठगांठ के कारण चिकित्सकों द्वारा मामूली सी समस्याओं में भी भारी भरकम जांच लिख दिया जाता है। 


जिसे मौजूद दलाल चिकित्सकों के हाथ से मरीजों के पर्चे को हाथों हाथ लेकर जांच करवाने के लिए लैब तक लेकर जाते हैं । जहां डॉक्टर को हुई जांच के कीमत के साथ भेजे गए जांच का 60 फ़ीसदी का लाभ मिलता है ।


बाहर से लिखी जाती है महंगी महंगी दवाइयां

चिकित्सकों द्वारा मरीजों के सरकारी पर्चे के पीछे या फिर अलग से एक और पर्चे का टुकड़ा देकर उसमें मेडिकल स्टोर से लेने के लिए महंगी दवाइयां लिख दी जाती हैं जिससे भी लगभग 50 फ़ीसदी कमीशन तैयार होता है।


सरकारी लैब में भी होती है निजी जांच

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अंदर बने पैथोलॉजी लैब में तैनात लैब टेक्नीशियन द्वारा सरकारी जांच के साथ-साथ निजी जांच भी किए जाते हैं जिसका भारी भरकम धन भी वसूल किया जाता है। इसमें भी डॉक्टर 60 फ़ीसदी कमीशन निश्चित होता है।


  सीएचसी अधीक्षक का कर्मचारियों पर नहीं चलता जोर

  कमीशन की कमाई के चक्कर में उलझे सीएचसी अधीक्षक का स्वास्थ्य कर्मियों पर कोई भी जोर नहीं चल पा रहा है जिसका उदाहरण हाल ही में हुई धरना प्रदर्शन में देखने को मिला है जब बिना किसी अग्रिम सूचना के कर्मचारी हड़ताल पर चले गए।


कर्मचारी भी लिखते हैं नाम बदल कर जांच

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात कर्मचारी डॉ कुलदीप डॉक्टर पूनम डॉक्टर पूजा के नाम से मरीजों को जांच का पर्चा लिखकर बाहर से जांच करवा कर अलग से कमाई करते हैं जबकि उक्त तीनों नाम के कोई भी डॉक्टर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मनकापुर में तैनात नहीं है। लेकिन पैथोलॉजी लैब पर रिफर डॉक्टर के नाम में यह 3 नाम मिल जाते हैं।



दलाली से ही उपजा था विवाद

मनकापुर सीएचसी में हाल ही में हुए चिकित्सकों और कर्मचारियों के बीच विवाद का कारण भी यही दलाली ही रहा है जिसमें कर्मचारियों द्वारा महिला चिकित्सक का दलाली आदि में हस्तक्षेत  करते हुए फोटो खींचकर वायरल करना मुख्य माना जा रहा है।


मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने दलाली में दिया उर्वरक

चिकित्सकों और कर्मचारियों के मध्य उपजे विवाद को निर्णय करने की भूमिका में पहुंची मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ रश्मि वर्मा ने हाल ही में तैनात हुई डॉ सुषमा त्रिवेदी का स्थानांतरण अन्यत्र कर दिया जबकि वर्षों से टिके चिकित्सक व कर्मचारियों के विरुद्ध औपचारिक कार्रवाई कर मामले को इति श्री कर दिया। जिससे तैनात कर्मचारियों और चिकित्सक का मनोबल विचलित नहीं हुआ और दलाली को जहां कुछ दिनों के लिए ही सही मृतप्राय हो जाना था उसको और उर्वरक मिल गया और दिनोंदिन परवान चढ़ता जा रहा है। 



बहुत मजबूत है दलाली की जड़ें

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मनकापुर में तैनात चिकित्सक व कर्मचारी अरसे से जमे हैं जिससे स्थानीय अस्तर पर जो व्यवहार वह संबंध कायम है उन्हीं की बदौलत दलाली की जड़ें मजबूत हो चुकी हैं ।


जिसको बिना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सकों और कर्मचारियों के एक साथ स्थानांतरण के हिलाया भी नहीं जा सकता है।



बोली जिम्मेदार

दलाली के संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ रश्मि वर्मा ने दूरभाष पर बताया कि यह बिल्कुल गलत है ऐसा कतई नहीं होना चाहिए। वही वर्षों से जमे डॉक्टरों के बाबत पूछे जाने पर वह जवाब देने से कतराते हुए बोली कि हर बात फोन पर नही कही जा सकती है।

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