अखिलेश्वर तिवारी
जनपद बलरामपुर जिला मुख्यालय के अंग्रेजी माध्यम विद्यालय पायनियर पब्लिक स्कूल एंड कॉलेज छात्र-छात्राओं के अंदर धार्मिक भावना तथा धार्मिक ग्रंथों के प्रति आदर व रुझन पैदा करने के उद्देश्य से शनिवार को पवित्र ग्रंथ वाचन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया ।
10 सितम्बर को शहर के अग्रेंजी माध्यम विद्यालय पॉयनियर पब्लिक स्कूल एण्ड कॉलेज में ‘पवित्र ग्रन्थों की वाचन प्रतियोगिता‘ का आयोजन किया गया। विद्यालय के प्रबन्ध निदेशक डा0 एम0पी0 तिवारी नें पवित्र ग्रन्थों में श्री रामचरित मानस तथा कुरान शरीफ के महत्व के बारे में बताया कि श्री रामचरित मानस अवधी भाषा में गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा 16वीं सदी में रचित प्रसिद्ध ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ को अवधी साहित्य (हिन्दी साहित्य) की एक महान कृति माना जाता है। इसे सामान्यतः -तुलसी रामायण‘ या तुलसीकृत रामायण‘ भी का जाता है। रामचरितमानस भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है। रामचरितमानस एक चरित-काव्य है, जिसमें श्रीराम का सम्पूर्ण जीवन चरित वर्णित हुआ है। इसमें ‘चरित‘ और ‘काव्य‘ दोनों के रूप समान रूप से मिलते है। इस काव्य के चरितनायक कवि के आराध्य भी है, इसलिए वह ‘चरित‘ और ‘काव्य‘ होने के साथ-साथ कवि की भक्ति का प्रतीक भी है। श्री रामचरितमानस शीर्षक में मानस का अर्थ रामजी सदगुणों से भरा चरित्र को सदैव प्रत्येक व्यक्ति को अपने मन-मष्तिष्क मे रखना चाहिए। आदि काल में शिव जी ने इस रामकथा चरित की रचना कर के अपने मन या हृदय में रख लिया था। सुसमय आने पर पार्वती जी को मधुर शब्दों मे सुनाया था। उन्होंने पवित्र ग्रंथ कुरान के बारे में भी जानकारी देते हुए बताया कि कुरान इस्लाम की सर्वोच्च किताब है, जो अल्लाह के संदेशों का संकलन है, मसलकों, फिरकों और दूसरी तरह के मतभेदों के बावजूद तमाम मुसलमानों का यह अकीदा है कि कुरान आसमानी और अल्लाह के द्वारा भेजी गई अंतिम किताब है, इसे अल्लाह ने अपने फरिश्ते जिब्राइल के जरिए पैगबर-ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद साहब तक पहुंचाया। कुरान शब्द का पहला जिक्र खुद कुरान मे ही मिलता है, जहां इसका अर्थ है उसने पढ़ा। कुरान में कुरान का जिक्र 70 बार आया है। कुरान को मूल रूप में 114 अध्यायों में बांटा गया है। इन्हें सूरह कहते है।
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