बीपी त्रिपाठी
गोण्डा। ग्राम गुरसड़ा के नहर में आंगनबाड़ी केन्द्र के बच्चों में बांटने के लिए आने वाले पोषण सामग्री की इस्तेमाल किये हुए सैकड़ों पैकेट बोरे में भरे फेंके पाये गये।
पोषणह सामग्री आंगनबाड़ी केन्द्र के बच्चों में न बांटकर कार्यकत्री व सहायिका द्वारा किये जा रहे बड़े खेल की पोल खोलने काफी माना जा रहा है। आंगनबाड़ी केन्द्र गुरसड़ा द्वितीय हमेशा तालाबंदी का शिकार रहता है।
विभागीय अधिकारी कुम्भकर्णी निद्रा में सोये हुए उन्हें इनकी जांच करने तक का मौका नहीं है। कमोवेश यही हाल पूरे विकास क्षेत्र के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों का है।
हलधरमऊ विकास क्षेत्र की ग्रामपंचायत गुरसड़ा के गांव अचलीपुरवा के नहर में आंगनबाड़ी केन्द्र के बच्चों में बांटने के लिए मिलने वाली पोषण सामग्री के इस्तेमाल किये हुए सैकड़ों पैकेट एक बोरे में भरे फेंके हुए मिले।
आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों में बांटने के लिए आने वाली पोषण सामग्री में बड़ा घपला किये जाने की पोल खोल रहा है। बाल विकास परियोजना के तहत मिलने वाले पोषण सामग्री में किये जा रहे बड़े खेल के चलते ज्यादातर आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चे कुपोषण का शिकार नजर आते है।
जबकि आंगनबाड़ी कार्यकत्री, सहायिका,सुपरवाइजर व सीडीपीओ ज्यादा पोषणयुक्त हृष्ट पुष्ट दिखाई पड़ते है।
ग्रमीणों के मुताबिक यह इस्तेमाल किया हुआ पोषण सामग्री का पैकेट गुरसड़ा आंगनबाड़ी केन्द्र प्रथम अचलीपुरवा का है। यहां की कार्यकत्री पूनम शर्मा है। इनकी इससे पहले कई बार शिकायत की जा चुकी है ।
लेकिन विभागीय अधिकारी मिले हुए है इसलिए कोई सुनवाई नहीं हो पा रही है।इनका गोरखधंधा बिना किसी रुकावट के बेरोकटोक जारी है। इसको लेकर विभागीय अधिकारियों के खिलाफ ग्रमीणों में काफी असंतोष व्याप्त है।
सवाल यह उठता है कि जब किसी पोषण सामग्री का पैकेट खोलकर नहीं वितरण किया जाता है तो इतने ज्यादा संख्या में पोषण सामग्री के खुले हुए पैकेट कहां से इकट्ठा होकर आये।
हलधरमऊ विकास क्षेत्र की 68 ग्रामपंचायतों में कुल 159 आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित हो रहे है। इनमें से 16 मिनी आंगनबाड़ी केन्द्र है। मौजूदा समय में बाल पोषाहार व पोषण सामग्री का वितरण प्रत्येक ग्रामपंचायत के एक समूह को सौंपा गया है।
समूह के लोग ही सीडीपीओ कार्यालय से बाल पोषाहार व पोषण सामग्री की उठान करके प्रत्येक आंगनबाड़ी केन्द्र पर पहुँचाते है। इस तरह से पोषाहार व पोषण सामग्री वितरण के दौरान हो रहे बड़े खेल में एक नया खिलाड़ी समूह के रूप में शामिल कर लिया गया है। अब एक हिस्सा उसको भी देना पड़ रहा है।
पोषाहार व पोषण सामग्री के वितरण में की जाने वाली गड़बड़ी का पुराना सिस्टम यथावत जारी है उसमें कोई बदलाव नहीं लाया जा सका है।
ग्रमीणों का कहना है कि आंगनबाड़ी केन्द्रों के बच्चों में बांटने के लिए आने वाली पोषण सामग्री व बाल पोषाहार सभी बच्चों को न बांटकर दिखाने के लिए सीमित बच्चों में बांटकर अधिकांश हिस्सा बचाकर धड़ल्ले से बेंच दिया जाता है।
इसका हिस्सा नीचे से लेकर ऊपर तक के सभी अधिकारियों को जाता है।इसकी शुरुवात पोषण सामग्री व पोषाहार वितरण के दौरान हो जाती है। पोषण सामग्री की उठान के दौरान सीडीपीओ कार्यालय से शुरू होकर आंगनबाड़ी केंद्रों तक पोषण सामग्री व पोषाहार पहुँचने तक अनवरत चलता रहता है।
उनके मुताबिक सभी आंगनबाड़ी केंद्रों की कार्यकत्री या सहायिका से केन्द्रवार निश्चित धनराशि की अवैध वसूली की जाती है। यदि कोई भी कार्यकत्री या सहायिका यह धनराशि दे पाने में असमर्थता जताती है तो उसके केन्द्र को मिलने वाली पोषण सामग्री व पोषाहार की 6 बोरी वहीं काट लिया जाता है और उसे निर्धारित मात्रा से पोषाहार व पोषण सामग्री कम दिया जाता है।
इस तरह से बालविकास परियोजना के पोषाहार व पोषण सामग्री में एक विकास खण्ड में लाखों का खेल कर दिया जाता है। इसकी मार आंगनबाड़ी केंद्रों पर पंजीकृत बच्चों को झेलनी पड़ती है।
ग्रमीणों ने बताया कि आंगनबाड़ी केन्द्र की कार्यकत्री व सहायिका बच्चों के पंजीकरण में भी बड़ा खेल करती रही है। उनके यहां पंजीकृत बच्चों की संख्या हमेशा अत्यधिक दिखाई जाती है जबकि उनके यहां उपस्थित बच्चों की संख्या में हमेशा भारी अंतर दिखाई पड़ता है।
अनेकों ऐसे बच्चों का पंजीकरण आंगनबाड़ी केंद्रों पर कर लिया जाता है जो कभी केन्द्रों पर पहुँचते ही नहीं है। इसके बावजूद उनकी हाजिरी नियमित लगती रहती है। यही नहीं आंगनबाड़ी केंद्रों पर पंजीकृत अनेकों बच्चे ऐसे होते हैं जो प्राइवेट स्कूलों में भी पंजीकृत होकर पढ़ते रहते है।
बाल विकास परियोजना अधिकारी नन्दिनी घोष से इस गड़बड़ी के बारे में जानकारी लेने के लिए काल किया गया लेकिन उनकी काल रिसीव नहीं हो पाई। इससे उनके पक्ष की जानकारी नहीं मिल पाई।
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