रजनीश / ज्ञान प्रकाश
करनैलगंज(गोंडा)। नगर के गुड़ाही बाजार में चल रही श्रीरामलीला में शुक्रवार की रात्रि परशुराम-लक्ष्मण संवाद की लीला का जोरदार मंचन किया गया।
श्रीराम लीला मंचन के दौरान कोलकाता से आए कलाकारों नृत्य नाटिका व अदभुत झांकियां प्रस्तुत की गई।
नगर के धर्म रक्षा सेतु के कार्यकर्ताओं मनमोहक झांकियां प्रस्तुत कर श्रद्धालुओं का मन मोह लिया। रामलीला मंचन में राजा जनक ने अपनी पुत्री सीता के स्वयंवर का आयोजन किया।
इसमें दूर-दूर से राजाओं-महाराजाओं को आमंत्रित किया गया। राजा जनक की शर्त थी कि जो भी राजा भगवान शिव के धनुष को उठाकर उस पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा, उसी के साथ सीता जी का विवाह होगा।
भगवान श्रीराम व लक्ष्मण भी महर्षि विश्वामित्र के साथ स्वयंवर में पहुंचे हैं। धनुष को उठाने के लिए एक से बढ़कर एक ताकतवर राजा आगे आते हैं, लेकिन कोई भी धनुष को उठा नहीं पाता है।
इसी बीच लंका का राजा रावण भी वहां पहुंच जाता है और धनुष को उठाने का प्रयास करता है। बाद में आकाशवाणी होने के कारण रावण लौट जाता है।
इस पर राजा जनक दुखी होकर स्वयंवर में आए राजाओं से कहते हैं कि यहां कोई ऐसा महारथी नहीं है जो इस धनुष को उठा सके।
इस पर लक्ष्मण को क्रोध आ जाता है और उनकी राजा जनक से तीखी नोकझोंक हो जाती है। बाद में महर्षि विश्वामित्र के कहने पर श्रीराम धनुष को उठाते हैं। इससे जनकपुरी में खुशी की लहर दौड़ जाती है और सीता जी श्रीराम के गले में वरमाला डाल देती हैं।
तभी वहां परशुराम पहुंच जाते हैं और धनुष के टूटने पर क्रोधित होते हैं। इसके बाद लक्ष्मण और परशुराम के बीच संवाद होता है। इसके पश्चात धूमधाम से भगवान राम व सीता जी का विवाह संपन्न होता है।
उसके बाद परसुराम महाराज का आगमन होता है जो क्रोधित होकर ब्रम्हांड को उथल पुथल कर देने की बात करते है तो भगवान राम विनम्रता पूर्वक उन्हें शांत करते हैं मगर लक्ष्मण व परसुराम के क्रोध में हुए संवाद का भी मंचन जोरदार किया गया।
इस दौरान रामलीला कमेटी के सदस्य पूर्व चेयरमैन रामजीलाल मोदनवाल, शिवनंदन वैश्य, संजय यज्ञसेनी, हरिकुमार वैश्य, कन्हैया लाल वर्मा, अरुन वैश्य, मोहित पाण्डेय, अभिषेक पुरवार, अरमान पुरवार, भाईजी, राजेंद्र सोनी एडवोकेट, अंकित जायसवाल, कैलाश सोनी, आयुष सोनी, विकास कौशल, राजेश पाण्डेय, पप्पू पाण्डेय आदि मौजूद रहे।
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