इन्द्र की पत्नी शची ने इन्द्र देव को रक्षासूत्र बांधा
Raksha Bandhan:हिन्दू धर्म शास्त्रों की मानें तो सर्वप्रथम देवराज इन्द्र की पत्नी शची ने वृतटसुर के युद्ध में सबसे पहले इन्द्र देव को रक्षासूत्र बांधा था मान्यता है कि प्राचीन काल में जब भी कोई युद्ध में जाता था तब कलावा या मौली बांधकर पूजा की जाती थी।
राजा बलि ने भगवान वामन को कलावा बांधा
एक अन्य कथा के अनुसार दान से पहले असुर राजा बलि ने यज्ञ में भगवान वामन को कलावा बांधा था इसके बाद ही वामन देव ने तीन पग भूमि दान कर प्रसन्न होकर उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर अमरत्व का वचन दिया।
माता लक्ष्मी ने राजा बलि के हाथ में बांधा रक्षा सूत्र
इसके अलावा माता लक्ष्मी ने अपने पति श्री हरि विष्णु की रक्षा हेतु राजा बलि के हाथ में रक्षा सूत्र या कलावा बांधा था इसके बाद वह पति को पाताल लोक से साथ ले गई थी।
द्रौपदी ने श्री कृष्ण के हाथ में बांधा रक्षा सूत्र
जब श्री कृष्ण ने शिशुपाल का वध किया था तो उनकी बाएं हाथ की अंगुली कट गई और उससे खून आने लगा यह देखकर द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़ कर कान्हा की उंगली पर बांध दिया तभी से रक्षाबंधन मनाने की परंपरा चली आ रही है।
कलावा बांधने का ज्योतिष महत्व
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार किसी के भी हाथ की कलाई में तीन मूल रेखाएं होती हैं, इन्हें मणिबंध कहते हैं हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार मणिबंध से भाग्यरेखा और जीवन रेखा शुरू होती है।
इन मणिबंधो में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु, महेश और त्रिशक्ति शक्ति, लक्ष्मी और सरस्वती का साक्षात वास रहता है कलावा बांधते ही यह सूत्र त्रिशक्तियों और त्रिदेव को समर्पित माना जाता और यही वजह है की कलावा को रक्षासूत्र के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है।
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