Friendship Day:भारत में मित्रता का अनुपम संगम भगवान श्री कृष्ण के जन्म काल से ही देखने को मिलता है जब भगवान श्री कृष्ण ने अपने अनन्य मित्र सुदामा के जन्मों-जन्मों की गरीबी को नष्ट कर दिया था। अब ऐसी मित्रता तो नहीं देखने को मिलती है ।
उस दौर में मित्रता दिवस मनाने की कोई परंपरा तो नहीं देखने को मिलती है लेकिन ताउम्र मित्रता निभाने की मिसाल आज भी बयां की जाती है ।
मित्रता निभाने की बात की जाए तो मनकापुर क्षेत्र में 2 शिक्षकों की मित्रता की मिसाल आज भी कायम है। हम बात कर रहे हैं बेसिक शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त शिक्षक राम सजन पांडे और राम बहादुर त्रिपाठी की। इन दोनों मित्रों की जोड़ी मनकापुर ही नहीं मनकापुर से बाहर भी अगर जो दोनों में से कोई एक दिख जाता है तो निश्चित ही दूसरे मित्र के मौजूदगी पूर्ण भरोसे से व्यक्त किया जा सकता है।
इन्होंने तीर्थ यात्रा या कहीं घूमने आदि के लिए भी योजना बनाई तो दोनों मित्र एक साथ निकले।
राम बहादुर त्रिपाठी की माने तो मनकापुर कस्बे में स्थित एपी इंटर कॉलेज में इंटर की पढ़ाई के दौरान राम सजन पांडे से उनकी मित्रता शुरू हुई जो 60 की उम्र पार भी पूर्ण रूप से निभ रही है।
एक साथ बीटीसी की तैयारी कर दोनों शिक्षा विभाग में कार्यरत हो गए और जन्मतिथि के उम्र के कारण 1 वर्ष के अंतराल में शिक्षा विभाग से रिटायर हुए।
राम बहादुर त्रिपाठी ने बताया कि उनके चश्मे घड़ी कपड़े एक ही जैसे सिर्फ इसलिए रहते हैं कि इनकी खरीदारी जब भी होती है तब एक साथ होती है।
जिस कपड़े का कुर्ता एक मित्र बनवाएगा उसी वक्त दूसरे मित्र का भी कुर्ता उसी कपड़े से बनेगा।
श्री त्रिपाठी ने बताया कि हम दोनों का घर भी एक साथ बना है और दोनों के परिवार भी एक परिवार के जैसे ही रहते हैं।
अक्सर संबंधों को लेकर यह भी कहा जाता है कि थोड़ी कहासुनी - नाराजगी से आपसी संबंध और मजबूत होते है लेकिन राम सजन पाण्डेय के अनुसार हम दोनो के बीच कभी भी ऐसी नौबत नहीं आई जिसमे एक दूसरे से कुछ क्षण मात्र के लिए भी नाराजगी जैसी बात हो।
अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस
आज के आधुनिक काल में अगस्त महीने के पहले रविवार को हर साल फ्रेंडशिप डे यानी मित्रता दिवस के दौर पर मनाया जाता है। भारत समेत कई देश मित्रता दिवस को अपने अपने तरीके से मनाते हैं। इस बार दोस्ती का ये खास दिन 7 अगस्त को मनाया जा रहा है।
नाम से ही स्पष्ट है फ्रेंडशिप डे दोस्ती को समर्पित दिन होता है। इस दिन लोग अपने दोस्तों के साथ पार्टी करते हैं, घूमते फिरते हैं और अपनी दोस्ती को सेलिब्रेट करते हैं। मदर्स डे या फादर्स डे की तरह की फ्रेंडशिप डे को मनाने की परंपरा है। लेकिन फ्रेंडशिप डे मनाने वाले लोगों के मन में ये सवाल जरूर आता होगा कि दोस्तों के लिए एक खास दिन समर्पित करने के पीछे क्या वजह थी?
आखिर सबसे पहले फ्रेंडशिप डे कब और क्यों मनाया गया? फ्रेंडशिप डे का इतिहास क्या है और इस दिन का क्या महत्व है? 7 अगस्त 2022 को अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस मनाने से पहले जानिए इस दिन का इतिहास और फ्रेंडशिप डे से जुड़ी रोचक बातें।
फ्रेंडशिप डे मनाने के पीछे की वजह?
फ्रेंडशिप डे को मनाने की पश्चिमी देश से एक दिलचस्प कहानी है। अमेरिका में 1935 में अगस्त के पहले रविवार के दिन एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी।
कहा जाता है कि इस हत्या के पीछे अमेरिकी सरकार थी। जिस व्यक्ति की मौत हुई थी, उसका एक प्रिय मित्र था। जब दोस्त की मौत की सूचना मिली तो वह बहुत हताश हो गया। दोस्त के जाने के गम में उस शख्स ने भी आत्महत्या कर ली।
अगस्त के पहले रविवार को ही क्यों मनाते हैं फ्रेंडशिप डे?
दोस्ती और लगाव के इस रूप को देख कर अमेरिकी सरकार ने अगस्त के पहले रविवार को फ्रेंडशिप डे के तौर पर मनाने का फैसला लिया।
धीरे धीरे ये दिन प्रचलन में आ गया और भारत समेत अन्य कई देशों में अगस्त के पहले रविवार को मित्रता दिवस के तौर पर मनाया जाने लगा।
30 जुलाई से अलग कैसे है अगस्त का दोस्ती दिवस?
कुछ लोगों को फ्रेंडशिप डे को लेकर कंफ्यूजन है कि 30 जुलाई और अगस्त के पहले रविवार में से सही फ्रेंडशिप डे कौन सा होता है।
दरअसल, साल 1930 में जॉयस हॉल ने हॉलमार्क कार्ड के रूप में उत्पन्न किया था। बाद में 30 जुलाई 1958 को आधिकारिक तौर पर अंतर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस मनाने की घोषणा की गई।
लेकिन भारत समेत बांग्लादेश, मलेशिया, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देश अगस्त के पहले रविवार को ही दोस्ती दिवस मनाते हैं।
फ्रेंडशिप डे का महत्व
हर व्यक्ति की जीवन में कोई न कोई दोस्त जरूर होता है। दोस्ती की न तो उम्र होती है और न ही लिंग व राष्ट्रभेद। दोस्ती की भावना विश्वास, एकजुटता और खुशहाली को प्रोत्साहित करती है। ऐसे में दोस्ती का महत्व जितना जरूरी है, उतना ही इस महत्व को हर दोस्त को महसूस कराना। इसलिए हर साल दोस्ती दिवस मनाया जाता है।
विद्वानों के अनुसार
- कभी भी उन लोगों से दोस्ती न करें, जो आपसे ऊपर या नीचे के दर्जे के हैं। ऐसी दोस्ती आपकी लिए कभी खुशी नहीं हो सकती है।
- जो पाप का निवारण करता है, पुण्य का प्रवेश कराता है और सुगति का मार्ग बताता है, वही 'अर्थ-आख्यायी', अर्थात अर्थ प्राप्ति का उपाय बतलाने वाला सच्चा स्नेही है।
- मित्र उसी को जानना चाहिए जो उपकारी हो, सुख-दुख में हमसे समान व्यवहार करता हो, हितवादी हो और अनुकंपा करने वाला हो
- यदि कोई होशियार, सुमार्ग पर चलने वाला और धैर्यवान साथी मिल जाए तो सारी विघ्न-बाधाओं को झेलते हुए भी उसके साथ रहना चाहिए ।
- जो छिद्रान्वेषण या दोष ढूंढ़ने का कार्य करता है और मित्रता टूट जाने के भय से सावधानी बरतता है, वह मित्र नहीं है। जिस प्रकार पिता के कंधे पर बैठकर पुत्र विश्वस्त रीति से सोता है, उसी प्रकार जिसके साथ विश्वासपूर्वक बर्ताव किया जाये और दूसरे जिसे तोड़ न सकें, वही सच्चा मित्र है ।
- जो मदिरापान जैसे गलत कामों में साथ और आवारागर्दी में बढ़ावा देकर कुमार्ग पर ले जाता है, वह मित्र नहीं, अमित्र है । अत: ऐसे शत्रु-रूपी मित्र को खतरनाक रास्ता समझकर उसका साथ छोड़ देना चाहिए।
- जो प्रमत्त अर्थात भूल करने वाले की और उसकी सम्पत्ति की रक्षा करता है, भयभीत को शरण देता है और सदा अपने मित्र का लाभ दृष्टि में रखता है, उसे उपकारी और अच्छे हृदय वाला समझना चाहिए।
- जगत में विचरण करते-करते अपने अनुरूप यदि कोई सत्पुरुष न मिले तो दृढ़ता के साथ अकेले ही विचारें, मूर्ख (नासमझ, मूढ़) के साथ मित्रता नहीं निभ सकती।
- अकेले विचरना अच्छा है, किंतु मूर्ख मित्र का साथ अच्छा नहीं।
- जो बुरे काम में अनुमति देता है, सामने प्रशंसा करता है, पीठ पीछे निंदा करता है, वह मित्र नहीं, अमित्र है।
- जो मद्यपानादि के समय या आंखों के सामने प्रिय बन जाता है, वह सच्चा मित्र नहीं । जो काम निकल जाने के बाद भी मित्र बना रहता है, वही सच्चा मित्र है।
मित्रता को लेकर विद्वानों के विचार
1. मित्रता की गहराई परिचय की लंबाई पर निर्भर नहीं करती। रवींद्रनाथ टैगोर
2. कभी भी उन लोगों से दोस्ती न करें, जो आपसे ऊपर या नीचे के दर्जे के हैं। ऐसी दोस्ती आपको कभी खुशी नही दे सकती: चाणक्य
3. एक जिज्ञासु और दुष्ट मित्र एक जंगली जानवर की तुलना में डरने के लिए अधिक है, एक जंगली जानवर आपके शरीर को घायल कर सकता है, लेकिन एक बुरा दोस्त आपके दिमाग को घायल कर देगा। गौतम बुद्ध
4. सच्चा प्रेम दोस्ती की बुनियाद पर टिका होता है। ओशो
5. शत्रु ऐसे राजा का नाश नहीं कर सकता जिसके पास उसका दोष बताने वाले, असहमति जताने वाले और सुधार करने वाले मित्र हों। संत तिरुवल्लुवर
6. मैं दोस्त के साथ अंधेरे में चलना पसंद करूंगी, बजाय रोशनी में अकेली चलने के । हेलेन केल
7. दोस्त बनाने में धीमे रहिए, लेकिन जब दोस्ती हो जाए तो उसे हमेशा दृढ़ता से निभाइए । सुकरात
8. आपके हृदय में एक चुंबक होता है जो सच्चे मित्रों को आपकी ओर आकर्षित करता है। वह चुंबक है आपकी निःस्वार्थता और दूसरों के बारे में पहले सोचने का स्वभाव। जब आप दूसरों के लिए सीख लेते हैं, तब दूसरे आपके लिए जीने लगते हैं। परमहंस योगानंद
9. मैत्री परिस्थितियों का विचार नहीं करती, अगर यह विचार बना रहे तो समझ लो मैत्री नहीं है। मुंशी प्रेमचंद
10. कभी भी मित्रों को अपने सारे राज न बताएं क्योंकि यदि ये आपसे नाराज हो गए तो ये आपकी निजी बातें दूसरे लोगों को बता सकते हैं। चाणक्य
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