जनपद बलरामपुर जिला मुख्यालय के एमएलके पीजी कॉलेज के वैज्ञानिक डॉ राजीव रंजन सहित वैज्ञानिकों की एक टीम द्वारा किए गए शोध ने सभी को चौंका दिया है । पूरे देश और विश्व के लिए बड़े हर्ष का विषय है कि वनस्पति वैज्ञानिकों के एक समूह ने "अनुवांशिक रूपांतर फेनोटाइप विश्लेषण प्रणाली और उसके तरीके" तथा "मधुमेह के रोकथाम और उपचार के लिए एक हर्बल फॉर्मूलेशन" विषय पर ऐसा शोध कार्य प्रस्तुत किया है जो चिकित्सा के क्षेत्र में अभूतपूर्व उपयोगिता वाला हो सकता है। इन दो महत्वपूर्ण शोध कार्यों को इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी इंडिया पेटेंट, डिजाइंस, ट्रेडमार्क मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ने पेटेंट किया है।
जानकारी के अनुसार दो महत्वपूर्ण शोधों को गवर्नमेंट ऑफ इंडिया द्वारा पेटेंट किया गया है । दोनों महत्वपूर्ण पेटेंट कराने वाली टीम में एम एल के पीजी कॉलेज के वनस्पति विज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ राजीव रंजन का भी महत्वपूर्ण योगदान है। पहले पेटेंट "अनुवांशिक रूपांतरण फेनोटाइप विश्लेषण प्रणाली और उसके तरीके" से चिकित्सा संदर्भों में जिनोमिक अनुक्रमण डाटा में कई फेनोटाइप के बीच संबंध प्रकट करने की क्षमता होती है जिसमें विशिष्ट चिकित्सा उपचार प्रदान करने के लिए चिकित्सा स्थितियों और प्रतिक्रियात्मकता या गैर-अवलोकित प्रतिक्रिया के बीच संबंध शामिल होते हैं । इस विशिष्ट पेटेंट से एक विशिष्ट व्यक्ति के भीतर और पूरी आबादी में एक विशेषता के लिए बीमारियों और अन्य विकारों की संख्या की पहचान की जाती है। इस पेटेंट के वैज्ञानिक समूह में डॉ अवनीश कुमार सिंह, डॉ दीपक कुमार श्रीवास्तव, डॉ राजीव रंजन व डॉ निखिल अग्निहोत्री शामिल हैं।
द्वितीय पेटेंट" मधुमेह के रोकथाम और उपचार के लिए एक हर्बल फॉर्मूलेशन" के द्वारा मधुमेह रोगियों के रोकथाम और उपचार के लिए एक हर्बल सूत्री करण बताया गया है। इसमें एस्टेरेसी कुल के पौधे आर्टेमिसिया ड्रैकुनकुलस, सिचोरिया एंडिविया, और लैक्टुका सेटाइवा का जलीय अर्क और एक धातु जैसे क्रोमियम, लोहा, मैग्नीज, जस्ता या तांबा के अर्क को लेकर एक हर्बल फार्मूला तैयार किया गया है। यह हर्बल फार्मूला मधुमेह के इलाज के लिए अत्यंत लाभदायक होगा। इस प्रकार चिकित्सा संबंधी समस्या को हल करने वाले इलाज के लिए यह हर्बल फॉर्मूलेशन बहुत ही उपयोगी साबित होगा। इस पेटेंट के वैज्ञानिक समूह में डॉक्टर अवनीश कुमार सिंह, डॉक्टर निखिल अग्निहोत्री, डॉक्टर दीपक कुमार श्रीवास्तव, डॉ राजीव रंजन, डॉ राकेश कुमार श्रीवास्तव व डॉक्टर ममता शुक्ला शामिल है। इन दो महत्वपूर्ण पेटेंट के लिए एम एल के पीजी कॉलेज के वनस्पति विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ राजीव रंजन को महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर जे पी पांडे, पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर एन के सिंह समेत अनेक शिक्षकों, शिक्षाविदों तथा गणमान्य नागरिकों ने बधाई देते हुए महाविद्यालय को गौरवान्वित करने वाले इस महत्वपूर्ण शोधो के लिए उनकी प्रशंसा की। यहां यह बताना जरूरी है कि एमएलके पीजी कॉलेज के इतिहास में ऐसा शोध कार्य जिसका पेटेंट हुआ हो पहली बार हुआ है । शोध कार्य के पेटेंट की यह महत्वपूर्ण उपलब्धि महाविद्यालय को पहली बार प्राप्त हुई है । इसके पूर्व किसी भी कार्य का पेटेंट नहीं हुआ है।
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