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गजब:एआरटीओ ऑफिस में उपस्थित होकर एक मुर्दे ने अपनी गाड़ी दूसरे को कर दिया ट्रांसफर

 


सतेंद्र

कौशाम्बी:भले ही प्रदेश की योगी सरकार भर्ष्टाचार मुक्त प्रदेश की बात कर रही हो,


लेकिन उसके इस दावे की पोल खोलता एक मामला डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या के गृह जनपद कौशाम्बी से आया है। 


मामला एआरटीओ ऑफिस का है। जहाँ एआरटीओ ऑफिस में उपस्थित होकर एक मुर्दे ने अपनी गाड़ी दूसरे को ट्रांसफर कर दिया। 


मामले की जानकारी मृतक के परिजनों को हुई तो उन्होंने शिकायत एआरटीओ से किया है। 


एआरटीओ का कहना है मामले में जांच कराई जा रही है। जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई किया जाएगा।

 

मामला सैनी कोतवाली के डोरमा गांव की है। जहाँ डोरमा गांव के रहने वाले अशोक कुमार के पुत्र अनुराग कुमार की 15 जून 2022 को सड़क हादसे में मौत हो गई। 


बेटे की मौत के बाद गमजदा परिजन उसके क्रिया क्रम में लगे हुए थे। इसी बीच अनुराग की पत्नी पूनम उसके दहेज में मिली दो पहिया वाहन समेत अन्य सामान लेकर मायके के लिए जाने लगी। 


घर वालों ने रोकने का प्रयास किया लेकिन वह नहीं रुकी। घर पहुंचने के बाद पूनम को लगा कि कहींससुराल वाले गाड़ी ट्रासफर करवाने में रोड़ा न बन जाये वह 23 जून 2022 को दोपहिया वाहन को अपने नाम ट्रासफर करवाने के लिए एआटीओ ऑफिस पहुँच कर प्रार्थना पत्र दिया।


 इतना ही नहीं इस दौरान पूनम ने एआरटीओ ऑफिस में मौजूद बाबू सुरेश से संपर्क कर अपने म्रतक पति की गाड़ी अपने नाम ट्रासफर कराने की बात कही। 



इस बीच पूनम ने बाबू से सांठगांठ कर एक दूसरे आदमी को खड़ा करके उसे अपने अपना पति बताया और गाड़ी अपने नाम ट्रांसफर करवा लिया। 


मृतक अनुराग की गाड़ी पत्नी के नाम ट्रांसफर हो जाने की खबर जैसे ही उनको परिजनों को लगी तो परिजनों ने इस पूरे मामले की जानकारी मीडिया को दिया। 


मामले की जानकारी मीडिया तक आने पर एआरटीओ ऑफिस में हड़कंप मच गया।


अशोक कुमार , मृतक अनुराग के पिता




सरकार भले ही ऑनलाइन प्रक्रिया करके भ्रष्टाचार मुक्त का प्रयास कर रही हो लेकिन एआरटीओ विभाग के बाबू व अधिकारियों ने जिस प्रकार में तक व्यक्ति की गाड़ी उसके पत्नी के नाम ट्रांसफर करवा दिया इससे कहीं न कहीं भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश के दावे पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। 



यह सवाल इसलिए भी बड़ा हो रहा है क्योंकि केंद्र और प्रदेश की सरकार ने भ्रष्टाचार मिटाने के लिए गाड़ी ट्रांसफर की प्रक्रिया को भी ऑनलाइन किया है। 


इतना ही नहीं गाड़ी ट्रांसफर करने से पहले गाड़ी की मालिक और फोटो की मिलान की जाती है। 


लेकिन जब विभाग के बाबू और कर्मचारी है इस पूरे मामले के खेल करने में जुटे हो तो आखिर सरकार कहां से इस पर लगाम लगा पाएगी। 


तारकेश्वर मल , एआरटीओ कौशाम्बी


वहीं इस मामले में एआरटीओ तारकेश्वर मल ने खुद मीडिया के सामने यह कबूल किया कि मृतक की पत्नी ने किसी दूसरे व्यक्ति को खड़ा कर गाड़ी को ट्रांसफर करा लिया है ।


इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इस मामले में दोनों पक्षों को नोटिस दे जवाब तलब किया गया है। 


वहीं उन्होंने बताया कि मृतक की जो गाड़ी ट्रांसफर की गई है उसके पेपर रद्द कर दिया गया है। वहीं इस मामले में बाबू के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है। 


अब ऐसे में एक सवालिया भी खड़ा होता है कि क्या कोई व्यक्ति पीना बाबू की मिलीभगत से इतनी बड़े पैमाने पर खेल कर म्रतक से गाड़ी ट्रासफर करवा सकता है।



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