रजनीश / ज्ञान प्रकाश
करनैलगंज(गोंडा)। घाघरा नदी अपने पूरे शबाब पर है। 3 दिनों से घाघरा का जलस्तर ऊपर नीचे होकर बांध के आसपास वाले गांव में ग्रामीणों के लिए दहशत का कारण बना हुआ है।
घाघरा का जलस्तर लगातार घटने बढ़ने का क्रम जारी है। वहीं घटते बढ़ते घाघरा के जलस्तर से कृषि योग्य खाली पड़ी जमीनों में हो रही कटान तेज होती जा रही है।
बीते दो दिनों में घाघरा नदी ने करीब सैकड़ों बीघे से अधिक भूमि काटकर नदी में समाहित कर लिया है और कटान जारी है।
हालांकि कई जगहों पर नदी बांध के किनारे सटकर बह रही है, तो तमाम स्थानों पर अभी घाघरा बांध के किनारे तक नहीं पहुंची है और कटान करते हुए बांध की तरफ बढ़ रही है।
घाघरा में डिस्चार्ज लगातार घट बढ़ रहा है और नदी का जलस्तर खतरे के निशान से करीब 30 सेंटीमीटर नीचे बना हुआ है।
मगर घाघरा स्थिर होने या घटने की स्थिति में कटान तेजी से करती है। जिससे बांध के किनारे ग्रामीणों द्वारा की जा रही खेती योग्य जमीन लगातार घटती जा रही है।
ग्राम परसावल, बेहटा, पारा मांझा, काशीपुर माझा, रायपुर मांझा, चंदापुर किटौली के सामने नदी की धारा तेजी से बह रही है और इन गांव के सामने नदी खाली पड़ी जमीनों को काटकर बांध के किनारे आने के लिए बेताब है।
गुरुवार को घाघरा नदी में डिस्चार्ज 2 लाख 69 हजार क्यूसेक रहा है और आंकड़ों के मुताबिक खतरे के निशान 106.07 के सापेक्ष 105.776 पर घाघरा का जलस्तर बना हुआ है।
लगभग 2 लाख 69 हजार क्यूसेक के आसपास का डिस्चार्ज लगातार तीन दिनों से चला आ रहा है।
सहायक अभियंता अमरेश सिंह का कहना है कि नदी के जलस्तर में उतार चढ़ाव बना हुआ है खतरे के निशान से अभी नीचे है बांध को किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं है।
उधर अवर अभियंता रवि वर्मा कहते हैं कि बांध पर लगातार निगरानी की जा रही है बरसात के नाते जहां रेन कट हुए हैं उन्हें सही कराने का काम कराया जा रहा है।
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ