वन क्षेत्राधिकारी ने जंगली पशु के हमले को नकारा
आयुष मौर्य
धौरहरा खीरी ।खमरिया में नवजात का अंतिम संस्कार करवाकर लौट रहे युवक का संदिग्ध हालात में शव मिला।
रास्ते के किनारे रक्त रंजित शव पड़ा होने की खबर पर हड़कम्प मच गया। पहले हिंसक पशु के हमले की बात कही गई।
मगर मौके पर पहुंचे वन क्षेत्राधिकारी ने हिंसक पशु के हमले की बात खारिज कर दी। खमरिया पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
शनिवार की सुबह खमरिया कस्बे के समर्दा हरी गांव के पास खड़ंजे के किनारे खमरिया कस्बे के मोहल्ला प्रेमनगर निवासी धीरज (20) पुत्र मूलचंद का रक्तरंजित शव बरामद हुआ।
खड़ंजे के एक किनारे की तरफ का हिस्सा खून से सना हुआ था। जबकि इस जगह से करीब दो मीटर की दूरी पर धीरज का शव पड़ा हुआ था।
शव का चेहरा बुरी तरह क्षतिग्रस्त था। राहगीरों ने रास्ते किनारे शव देखा तो हड़कम्प मच गया। लोगों का हुजूम शव देखने दौड़ पड़ा। मगर उसकी शिनाख्त काफी देर तक नहीं हो सकी।
घटना के बाद चर्चा हो गई कि धीरज पर किसी हिंसक पशु ने हमला कर उसे मौत के घाट उतार दिया है। इस पर वन क्षेत्राधिकारी धौरहरा गजेंद्र सिंह वनकर्मियों के साथ मौके पर पहुंच गए।
वन क्षेत्राधिकारी गजेंद्र सिंह ने मौके पर पड़ताल के बाद स्पष्ट किया कि घटनास्थल और आसपास ऐसे कोई चिह्न नहीं मिले हैं। जो मौके पर हिंसक पशु की मौजूदगी साबित कर पाते।
वन क्षेत्राधिकारी ने बताया कि मृतक पर ऐसे कोई निशान और जख्म भी नहीं मिले। जो आमतौर पर जंगली जानवरों के हमले में बनते हैं।
मृतक की दादी ज्ञानवती ने दुश्मनी की संभावनाओं को नकारते हुए कहा कि यह किसी जानवर का हमला नहीं है बल्कि हत्या है।
शव बरामदगी की सूचना पर खमरिया पुलिस मौके पर पहुंच गई। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
भतीजे की मिट्टी करवाकर लौट रहा था धीरज
मृतक की दादी ज्ञानवती ने बताया कि बीती रात उसके एक महीने के पोते की मौत हो गई थी। सुबह करीब 10 बजे घर के लोग उसके अंतिम संस्कार के लिए शव लेकर गए थे। वापसी के समय धीरज पीछे रह गया।
जिसके पास फावड़ा और मोबाइल फोन भी था। वापसी में अकेले आते समय यह वीभत्स वारदात हो गई। जिसके बाद वह काफी देर तक जब घर नहीं पहुंचा तो मोबाइल पर फोन किया गया।
मगर फोन रिसीव नहीं हुआ। जिसके बाद धीरज को मोहल्ले में भी तलाश किया गया। इस बीच हिंसक पशु के हमले में किसी की मौत की बात सुनकर उसकी दादी भी वहां तक हो आई।
मगर शव देखने के बाद भी वह पहचान नहीं सकी। कुछ देर बाद फिर से उसके मोबाइल पर जब घर के लोगों ने कॉल की। तब किसी पुलिस कर्मी ने फोन रिसीव कर सूचना दी। जिसके बाद घर में कोहराम मच गया।
एक दूसरे के सिर डालते रहे वन और पुलिस विभाग
खमरिया कस्बे में हुई इस सनसनीखेज वारदात के बाद पुलिस और वन महकमा आमने सामने आ गया।
वन क्षेत्राधिकारी का दावा है कि हिंसक पशु के हमले जैसे कोई निशान न मौके पर हैं और न ही मृतक के शरीर पर। वन क्षेत्राधिकारी के इस कथन के उलट ईसानगर थाना प्रभारी ने हिंसक पशु के हमले की बात कही है।
परिजन कहते हैं कि पुलिस और वन विभाग की इस लड़ाई में कहीं ऐसा न हो जाये कि घटना का वास्तविक खुलासा ही न हो सके।
थाना प्रभारी ने दावा किया कि मृतक मोटरसाइकिल में पेट्रोल डलवाने गया था। जबकि मृतक अपने नवजात भतीजे का अंतिम संस्कार करके पैदल वापस लौट रहा था।
थाना प्रभारी की यह बात परिजनों के गले नहीं उतर रही है। परिजन सवाल उठाते हैं कि अगर धीरज मोटर साइकिल से गया था। तो फिर वह मोटरसाइकिल कहाँ है।
इसके अलावा ईसानगर थाना प्रभारी ने कहा कि वन विभाग मुआवजा देने से बचने के लिए मामले को दूसरी दिशा में घुमा रहा है।
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