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हरि शयनी एकादशी के व्रत से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है :यूधर्माचार्य ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास



वेदव्यास त्रिपाठी 

 10 जुलाई दिन रविवार को श्री हरि शयनी एकादशी है ।धर्मराज युधिष्ठिर के पूछने पर भगवान श्री में कृष्ण ने कहा हे राजन ।


आषाढ़ शुक्ल पक्ष में जो एकादशी आती है उसका नाम विष्णु शयनी एकादशी है। मैं उसका वर्णन करता हूं। वह महान पुण्य मयी, स्वर्ग एवं मोक्ष प्रदान करने वाली सब पापों को हरने वाली तथा उत्तम व्रत है। 


आषाढ़ शुक्ल पक्ष में श्री विष्णु का एकादशी के दिन जिन्होंने कमल पुष्प से कमल लोचन भगवान विष्णु का पूजन तथा एकादशी का व्रत किया है उन्होंने तीनों  लोको और तीनों सनातन देवताओं का पूजन कर लिया। 


हरिशयनी एकादशी के दिन मेरा  एक स्वरूप राजा बलि के यहां रहता है दूसरे स्वरूप में मैं क्षीर सागर में शेषनाग की शैया पर  शयन करता हूं ।

     


जब तक आगामी  कार्तिक की एकादशी नहीं आ जाती अर्थात आषाढ़ शुक्ल एकादशी से लेकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक मनुष्य को भलीभांति धर्म का आचरण करना चाहिए। जो मनुष्य इस व्रत का अनुष्ठान करता है, वह परम गति को प्राप्त होता है ।

   

 इस कारण यत्नपूर्वक इस एकादशी का व्रत करना चाहिए। एकादशी की रात में जागरण करके शंख ,चक्र ,गदा धारण करने वाले भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। 


ऐसा करने वाले पुरुष के पुण्य  की गणना करने में चतुर्मुख ब्रह्माजी भी असमर्थ है।

        

 राजन इस प्रकार भोग और मोक्ष प्रदान करने वाले सर्व पापा हारी एकादशी के व्रत का पालन जो करता है वह जाति का चाडांल होने पर भी संसार में मेरा प्रिय करने वाला है।

      

 जो मनुष्य दीपदान, पलाश के पत्ते पर भोजन और व्रत करते हुए चौमासा व्यतीत करते हैं वह मेरे प्रिय है। 


चौमासे में भगवान विष्णु सोए रहते हैं इसलिए मनुष्य को भूमि पर शयन करना चाहिए। सावन में साग ,भादों में दही , क्वार मास में दूध और कार्तिक में दाल का त्याग कर देना चाहिए। 


अथवा जो चौमासे में ब्रह्मचर्य का पालन करता है वह परम गति को प्राप्त होता है।

        

राजन एकादशी के व्रत से ही मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है ।अतः सदा इसका व्रत करना चाहिए, कभी भूलना नहीं चाहिए।

     

नोट:--शयन का मतलब यह नहीं कि भगवान हमारी आपकी तरह सो जाते हैं। भगवान योगनिद्रा में रहते हैं ।


यदि भगवान सो जाएंगे तो इस संसार का सारा कार्य ही रुक जाएगा। 


4 नवंबर कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी  तक चौमासा रहेगा इसलिए कोई भी शुभ कार्य नहीं होंगे विवाह इत्यादि नहीं होंगे। 


इस चौमासे में ठाकुर जी का भजन कीर्तन कथा इत्यादि श्रवण करना चाहिए इससे पुण्य की अधिकता होती है।

      

दासानुदास ओमप्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास रामानुज आश्रम संत रामानुज मार्ग शिव जी पुरम प्रतापगढ।

        

कृपा पात्र श्री श्री 1008 स्वामी श्री इंदिरा रमणाचार्य पीठाधीश्वर श्री जियर स्वामी मठ जगन्नाथ पुरी एवं पीठाधीश्वर श्री नैमिषनाथ भगवान रामानुज कोट अष्टम भू वैकुंठ नैमिषारण्य। 

        पारणा 11 जुलाई को प्रातः 7 :24 तक।

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