रवि दुबे
खबर प्रतापगढ़ से है जहं विकास खंड रामपुर संग्रामगढ़ अंतर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र संग्रामगढ़ है।
अब एक विकास खंड में दो सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र होने पर भ्रम कि स्थित बनी हुयी है।सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र धारुपुर कि बिल्डिंग पर लिखा हुआ है यह भी विकास खंड रामपुर संग्रामगढ़ मे आता है।
अभी तक यह साफ नही हो सका है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र है या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र।
स्थानीय नागरिकों ने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ३२ बेड का अस्पताल है जिसकी इमारते बकायदे बनी हुई है।
जहाँ पर बनी हुयी इमारत खंडहर मे तब्दील होने के लिए अग्रशर। करोड़ो कि लागत से बना ३२ बेड का अस्पताल जर्जर अवस्था में हो गया है जब कि यह अस्पताल कभी भी चला ही नहीं।
आयकर दाताओं व गरीबो के खून पसीने की कमाई से बना ३२ बेड का अस्पताल चलने के पहले ही दम तोड़ दिया। करोड़ो रुपयो कि बर्बादी कि गयी।
किन कारणों से 32 बेड का अस्पताल बनने के बावजूद नही चल सका बड़ा सवाल खड़ा करता है?
स्थानीय नागरिकों ने बताया कि धारूपुर अस्पताल में अव्यवस्थाओ कि भरमार है चिकित्सक मिलते हैं हाजिरी रजिस्टर के अंदर मात्र फर्मासिस्ट और स्विपर के सहारे अस्पताल का संचालन हो रहा है।
कभी कभी इंचार्ज चिकित्सक हाजिरी लगाने के साथ ओ पी डी का कार्य देख लिया जाता है। और एक चिकित्सक कि ड्यूटी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र संग्रामगढ़ अधीक्षक के कहने पर चिकित्सा का कार्य करते हैं।
शासनादेश जारी है कि स्वास्थ्य केंद्रो पर मुख्यमंत्री जन आरोग्य मेला आयोजित किया जाये। स्थानीय नागरिकों ने बताया कि सरकारी अस्पताल धारुपुर रविवार को कभी भी नही खुलता है।
मुख्यमंत्री जन आरोग्य स्वास्थ्य मेला पर ताला लटक रहा है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुशार स्वास्थ्य समिति ने सरकारी अस्पताल को मुख्यमंत्री जन आरोग्य स्वास्थ्य मेला कि लिस्ट में सामिल नही किया गया है।
अब इस अस्पताल को विशेष छूट प्राप्त है क्या? इस सवाल पर बताया गया कि धारुपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के कोई गुण तो दिखाई नही पड़ता है। कहने का मतलब यह हुआ कि जब जरूरत पड़े तो सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बन जाता है।
इस संबंध में मुख्य चिकित्साधिकारी प्रतापगढ़ से फोन वार्ता किया गया तो बताये कि कुछ चिकित्सक ने वहाँ से स्थानांतरण लिया है जिनके जगह पर अभी कोई नियुक्त नही है। और बोले कि जाँच करायी जायेगी।
शुक्र है कि नवागंतुक मुख्य चिकित्साधिकारी से बात और जानकारी प्राप्त हो गयी नही तो पूर्व मुख्य चिकित्साधिकारी का फोन सहायक ही उठाया करता था और बोलता था कि साहब फील्ड में है साहब मीटिंग में है।
कभी यदि सी एम ओ से बात हो भी गयी तो जवाब सीधा मिलता चिकित्सको कि कमी है।
सरकारी अस्पताल धारुपुर कि दयनीय स्थिति कि वजह से नागरिको को चिकित्सा स्वास्थ्य लाभ नही मिल पा रहा है जिससे नागरिको मे काफी आक्रोश व्याप्त है।
जन प्रतिनिधि ने भी चुप्पी साध रखा है।
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