Type Here to Get Search Results !

Bottom Ad

कामदा एकादशी 24 जुलाई दिन रविवार को मात्र यह करने से मिल जाती है सभी पांपो से मुक्ति



गौरव तिवारी 

प्रतापगढ़। धर्मराज युधिष्ठिर के पूछने पर भगवान श्री कृष्ण ने कहा हे राजन ! पूर्व काल में ब्रह्मा जी से यही प्रश्न नारद जी ने पूछा था। 


ब्रह्मा जी ने कहा था हे नारद सुनो मैं संपूर्ण लोगों के हित की इच्छा से तुम्हारे प्रश्नों का उत्तर दे रहा हूं। श्रावण मास में जो कृष्ण पक्ष की एकादशी होती है उसका नाम कामदा है ।उसके स्मरण भाव से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। 


उस दिन श्रीधर, हरि ,विष्णु, माधव और मधुसूदन आदि नामों से भगवान का पूजन करना चाहिए।भगवान श्री कृष्ण के पूजन से जो फल मिलता है वह गंगा, काशी, नैमिषारणय तथा पुष्कर क्षेत्र में भी सुलभ नहीं है। 


सिंह राशि के बृहस्पति होने पर तथा व्यतीपात और दंडयोग में गोदावरी स्नान से जिस फल की प्राप्ति होती है वही फल भगवान श्री कृष्ण के पूजन से मिलता है। 


जो समुद्र और वन सहित समूची पृथ्वी का दान करता है तथा जो कामदा एकादशी का व्रत करता है वह दोनों समान फल के भागी माने गए हैं। 


जो ब्याई हुई गाय को अन्य सामग्रियों सहित दान करता है उस मनुष्य को जिस फल की प्राप्ति होती है वहीं कामदा का व्रत करने वालों को मिलता है। इसलिए हर श्रेष्ठ सावन मास में भगवान श्रीधर का पूजन जो करता है उसके द्वारा गंधर्व और नागो सहित संपूर्ण देवता की पूजा हो जाती है। 


कामदा एकादशी का व्रत करने वाला मनुष्य रात्रि में जागरण करने से न तो कभी भयंकर यमराज का दर्शन करता है और न कभी दुर्गति में पड़ता है। 


लालमणि ,मोती ,वैधूय॓ और मूंगे से पूजित होकर भी भगवान विष्णु संतुष्ट नहीं होते जैसे तुलसी दल से पूजित होने पर होते हैं। 


तुलसी की मंजरियों से जिसने श्री केशव का पूजन किया है उसके जन्म भर का पाप निश्चय ही नष्ट हो जाता है ।तुलसी का दर्शन करने पर सारे पाप समुदाय का नाश कर देती है ,स्पर्श करने पर शरीर को पवित्र बनाती है, प्रणाम करने पर रोगों का निवारण करती है। 


जल से सीचने पर यमराज को भी भय पहुंचाती है ।आरोपित करने पर भगवान श्री कृष्ण के समीप ले जाती है, भगवान के चरणों में चढ़ाने पर मोक्ष रूपी फल प्रदान करती है उस तुलसीदेवी को नमस्कार है।


जो मनुष्य एकादशी के दिन- रात दीपदान करता है उसके पुण्य की संख्या चित्रगुप्त भी नहीं जानते। एकादशी के दिन भगवान श्री कृष्ण के सम्मुख जिसका दीपक जलता है उसके पिता स्वर्ग लोक में स्थित होकर अमृतपान से तृप्त होते हैं।


घी अथवा तिल के तेल से भगवान के सामने दीपक जलाकर मनुष्य देह त्याग के पश्चात करोड़ों दीपकों से पूजित हो स्वर्ग लोक में जाता है ।



 भगवान श्री कृष्ण कहते हैं हे राजन तुम्हारे सामने मैंने कामदा एकादशी की महिमा का वर्णन किया है। अतः मानव को इस का व्रत अवश्य करना चाहिए। यह स्वर्ग लोक तथा   महान पुण्य फल प्रदान करने वाली है ।


जो मनुष्य श्रद्धा के साथ इसके महत्व का श्रवण करता है वह सब पापों से मुक्त हो श्री विष्णु लोक में जाता है।

         

ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास कृपापात्र श्री श्री 1008 स्वामी श्री इंदिरा रमणाचार्य  पीठाधीश्वर  श्री जीयर स्वामी मठ जगन्नाथ पुरी। रामानुज आश्रम संत रामानुज मार्ग शिव जी पुरम प्रतापगढ़।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Top Post Ad



 




Below Post Ad

5/vgrid/खबरे