बीपी त्रिपाठी
मुजेहना, गोंडा:स्वच्छ भारत मिशन की शुरुवात हर घर में शौचालय अथवा सार्वजनिक स्थानों पर सामुदायिक शौचालयों का निर्माण कराया जाना सरकार की पहली प्राथमिकता थी, किन्तु इस योजना के तहत हर घर में शौचालय बनवाने के लिए दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि वितरण में धांधली अथवा अनियमितता किसी से छुपी नही है।
इसी का दूसरा पार्ट है सार्वजिनक स्थानों पर सामुदायिक शौचालयों का निर्माण, इसके निर्माण की प्रारम्भिक अवस्था व निर्माणोप्रांत सार्वजिनक उपयोग की कवायद आज भी जस की तस है।
शुरुवात करते है ब्लॉक मुख्यालय से जहां प्रशासनिक अधिकारी एवं शासकीय लोग बैठ कर ग्राम पंचायतों के विकास की रणनीति बनाते हैं, उसी ब्लॉक मुख्यालय के प्रांगण में एक वर्ष पूर्व बना सामुदायिक शौचालय आज भी निष्प्रोज्य है,
लाखों की लागत से बने इस सामुदायिक शौचालय में पानी की टँकी तो रखी है किन्तु उसमे न तो पानी की ब्यवस्था है और न ही पाइप लाइन का कनेक्शन कम्प्लीट हुआ है ।
आलम यह है की यदि ब्लॉक में आने वाले अधिकारी कर्मचारी उपयोग के लिए जाएँ तो पानी की एक बूँद भी नही मिलेगी, जबकि बिना पानी के सामुदायिक शौचालय का कोई महत्व नही है पानी के आभाव में न तो शौचालय का उपयोग किया जा सकता है और न ही साफ़ सफाई की जा सकती है।
ये तो मुख्यालय में बने सामुदायिक शौचालय की दशा है यदि ग्राम पंचायतों में बने सामुदायिक शौचालयों की स्थिति देखी जाए तो अस्सी फीसदी शौचालय ऐसे हैं जिनका बाहर से रंग रोगन तो कम्प्लीट है किन्तु आज भी उपयोग में नही है, इस विषय में जिम्मेदारों के बोल इस प्रकार हैं।
नवागत खण्ड विकास अधिकारी विकास मिश्रा का कहना है की पूर्व में रहे अधिकारी, कर्मचारी की उदासीनता के चलते मुख्यालय में बना सामुदायिक शौचालय अथवा ग्राम पंचायतों में बने सभी शौचालयों के संचालन की ब्यवस्था सुदृण बनाई जायेगी इसके लिए सभी ग्राम प्रधानों व सचिवों से रिपोर्ट मांगी गयी है।
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